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वक्त का औसान

                                                               बादशाह अकबर और बीरबल

vakt ka ausan

           कहा जाता है कि बादशाह अकबर के दरबार में  एक समय नौ रत्न थे. जो अपने अपने क्षेत्र में बेजोड़ थे, बादशाह अकबर हर समय अपने दरबार में अपने मंत्रियो सलहकारो और विश्वश्नीयो के सामने कुछ न कुछ सवाल पूछते रहते थे. जिससे उनकी बुद्धिमता की परीक्षा होती रहे.  

         एक समय की बात है बादशाह अकबर ने अपने दरबार में सभी विद्वानों से एक सवाल पूछा, ” बताओ इस दुनिया में सबसे बड़ा हथियार कौन सा है” सभी दरबारी, मंत्री अपना दिमाग खुजलाने लगे किसी ने कहा “बादशाह सलामत सबसे बड़ा हथियार तो तोप ही है जो एक बार में ही दुश्मन की सेना को खदेड़ सकती है “. अधिकतर दरबारी तोप समर्थक की  बात का समर्थन करने लगे, दूसरा दरबारी बोला ” नहीं महाराज सबसे बड़ा हथियार तो तलवार है यह भी अपने दुश्मन को धूल चटा सकती है. यह उठाने में भी आसान होती है तोप के लिए तो गोला बारूद भी चाहिए होता है” अब सभी दरबारी उस तलवार समर्थक की बात का भी समर्थन करने लगे. 

         एक दरबारी बोला बादशाह सलामत सबसे बड़ा हथियार तो भाला है जो दूर से भी और पास से भी अपने दुश्मन पर वार कर सकता है,.अब सभी दरबारी उस भाला समर्थक की बात पर भी अपनी सहमति जताने लगे, किस ने बरछी को बड़ा बताया किसी ने किसी दूसरे हथियार को बड़ा बताया, बादशाह अकबर ने सभी की बातें ध्यान से सुनी| 

         इन सभी बातो को सभी नवरत्न मंत्री भी ध्यान से सुन रहे थे. कोई नवरत्न मंत्री तोप का, कोई तलवार का, कोई भाले  का, कोई बरछी का या किसी अन्य हथियार का समर्थन कर रहा था. लेकिन होनहार मंत्री बीरबल इस बहस में मौन था. बादशाह अकबर ने बीरबल से भी पूछा. “बीरबल तुम्हारी ख़ामोशी से लगता है तुम दरबारियों और मंत्रियो की बात से सहमत नहीं हो  क्या तुम किसी और हथियार को सबसे बड़ा मानते हो” |  

        बीरबल ने अपनी ख़ामोशी तोड़ते हुए कहा ” बादशाह सलामत हर हथियार की अपनी एक सीमा होती है. उस सीमा से आगे वह नहीं जा सकता. कोई हथियार किसी भी समय बड़ा हो सकता है अगर उसका उपयोग समय और अवसर को देख कर किया जाये. सुई की जगह तलवार नहीं ले सकती, भाले की जगह तोप  नहीं ले सकती, बरछी की जगह तीर नहीं ले सकता सब अपनी अपनी जगह अलग पहचान और उपयोगिता रखते हैं”| 

    सभी दरबारी और अन्य नवरत्न मंत्री बीरबल के तर्कों का खण्डन करते हुए कहने लगे ” बादशाह सलामत बीरबल ने तो किसी भी हथियार को बड़ा नहीं बताया यह तो आपके सवाल की तौहीन है. बादशाह अकबर भी उन दरबारियों की बातों में आते हुए गुस्से में बीरबल से बोले ” बीरबल सवाल का सीधा जवाब दो सबसे बड़ा हथियार तुम्हारी नजर में कौन सा है “| 

        बीरबल भी अपनी बात पर डटा रहा ” बादशाह मेरी नजर में तो सबसे बड़ा हथियार वक्त का औसान (सुध बुध )है, या जो वक्त पर काम आ जाये वही सबसे बड़ा हथियार है. बादशाह अकबर ने बीरबल के इस जवाब से अपने सवाल की तौहीन समझी. वह बोले ” इसका मतलब तोप, तलवार, बरछी, भाले, या अन्य हथियार वक्त के औसान (सुध बुध ) से छोटे है” बीरबल फिर बोला ” जी बादशाह सलामत मैं अपनी बात पर अब भी कायम हूं”| 

       बीरबल के इस नए क्त का औसान (सुध बुध ) नामक हथियार  से अन्य दरबारियों और मंत्रियो को अपनी बुद्धिमत्ता खतरे में दिखाई देने लगी. वह सभी बोले “बादशाह सलामत बीरबल को अपनी कही बात सिद्ध करनी होगी कि सबसे बड़ा हथियार वक़्त का औसान (सुध बुध ) है. नहीं तो बादशाह के दरबार में बादशाह और उसके दरबार की तौहीन की सजा बीरबल को दी जाये ” बीरबल के पास उस समय अपनी बात सही साबित करने के लिए कोई भी युक्ति समझ नहीं आई. 

       इसलिए बादशाह ने बीरबल से फिर से कहा “बीरबल या तो अपनी बात सिद्ध करो नहीं तो जो और दरबारी कह रहे है उनकी बातो को सही मानो. अन्यथा दरबार की तौहीन करने के लिए दंड पाने के लिए तैयार हो जाओ” बीरबल ने फिर से कहा ” अभी मैं अपनी कही बात को सिद्ध नहीं कर सकता. पर मैं अपनी कही बात पर अभी भी कायम हूं कि  सबसे बड़ा हथियार वक्त का औसान (सुध बुध)  ही होता है|  

        बादशाह अकबर ने अपने दरबार में फैसला सुनाया. “बीरबल ने अपनी कही बात को सिद्ध न करके इस दरबार की तौहीन की है लिहाजा इसके पीछे पागल हाथी छोड़ दिया जाये और उस हाथी  को जब तक न रोका जाये जब तक बीरबल अपनी हार न  माने. आज का दरबार यहीं समाप्त होता है. कल बीरबल और उसके हथियार की परीक्षा ली जाएगी. सभी दरबारी वहां उपस्थित रहे”.

         सभी दरबारी और मंत्री बीरबल को बादशाह के सामने अपने जाल  में फंसा कर तिरछी नजरो से मुस्करा रहे थे, बीरबल आने वाले खतरे से निपटने के लिए कोई उपाय खोजने लगा|  

        अगले दिन एक गांव खाली कराया गया एक घर के आगे बीरबल को खड़ा कर दिया गया. सैनिको ने उसके पीछे एक पागल हाथी को छोड़ दिया. उस हाथी ने अपने सामने आने वाले हर जानवर और पेड़ पौधों को उखाड़ना शुरू कर दिया, बीरबल भी कई बार उस हाथी के सामने आने से बचा. पागल हाथी तो किसी को कुछ नहीं समझता वह तो उस हर चीज़ को तहस नहस करने लगा जो भी उसके सामने आ जाती.

       बादशाह अकबर ने बीरबल से फिर कहा “बीरबल अपनी हार मान लो तो मैं अभी इस पागल हाथी को सैनिको से काबू में करवा लेता हूं” बीरबल ने बादशाह अकबर की बात को अनसुना कर दिया और उस हाथी  से अपना बचाव करने की तरकीब बुझने लगा|  

        बीरबल धीरे धीरे एक सोती हुई कुतिया के पास पहुँच गया. वह पागल हाथी भी बीरबल के पास पहुंच गया, बीरबल तो इसी अवसर की तलाश में था, उसने सोती हुई कुतिया की पूंछ पकड़ कर उस पागल हाथी के ऊपर दे मारी. जैसे ही वह कुतिया उस हाथी के ऊपर गिरी वह  दर्द से कराहने लगी, वह उस पागल हाथी के ऊपर जोर जोर से भौकने लगी उसकी भौं भौ की आवाज सुनकर वह पागल हाथी भी डरने लगा.

        वह हाथी उस कुतिया और बीरबल को देख डर कर भागने लगा. वह कुतिया और जोर से उस हाथी को वहां से भगाने लगी. उस हाथी को दूर जाता देख बीरबल बादशाह के पास पहुँच कर बोला. “बादशाह यही है इस दुनिया का सबसे बड़ा हथियार इसी को कहते है वक्त का औसान”, बादशाह अकबर ने आगे बढ़कर बीरबल की पीठ थपथपाई और कहा “बीरबल मुझे तुम्हारी बुद्धि चातुर्य पर नाज है तुम सही कहते हो सबसे बड़ा हथियार वक्त का औसान ही होता है” .

       सभी  दरबारी और मंत्री भी अपनी नजरे झुका कर बादशाह की हाँ में हाँ बोलने लगे और बीरबल की इज्जत एक बार फिर बादशाह के दरबार में बढ़ गई|  

 
नोट : औसान एक फारसी शब्द है जिसका अर्थ यहाँ पर अपनी बुद्धि और विवेक का इस्तेमाल समझा गया है 

 

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