You are currently viewing साइकिल का ठिया (दुकान)

साइकिल का ठिया (दुकान)

                                                                      साइकिल का ठिया (दुकान) 

रोज की तरह अच्छन मियां अपने औज़ारों के बक्शे को साइकल के कैरियर पर रखकर अपने चौक वाले ठीये पर रवाना होने लगे. तभी पीछे से उनकी बेगम  नज़मा की आवाज आई, सलीम के अब्बू क्यों रोज अपनी उस दुकान पर जाते हो जहाँ कोई ग्राहक आता ही नहीं है. मियां अब उम्र हो गयी है अपना कुछ और धन्धा देखो तभी उनका दस वर्ष का नवासा  आ गया. बड़े अब्बू मेरी साइकल भी ठीक कर दो मुझे भी साइकल चलानी है. अरे क्यों नहीं मेरे शहजादे की साइकिल तो मैं पहले ठीक करूँगा.

 अच्छन मियां अपने नवासे को बड़े दुलार से पुचकारने लगे, तभी उनकी बहु सितारन की आवाज आई, क्या अब्बू आप भी बच्चो को सही शिक्षा नहीं देते मोहल्ले में सारा दिन कितना ट्रैफिक रहता है कहाँ बच्चों को कोई साइकिल चलाने देता है सारे दिन हॉर्न की आवाज बजती रहती है और यह साइकिल चलाएगा तो होम वर्क कब करेगा. अरे 

बहु होम वर्क भी कर लेगा

बहु होम वर्क भी कर लेगा, और मैं इसके साथ रहूँगा जब भी यह साइकल चलाएगा, सितारन अच्छन मियां  के तर्कों के आगे बेबस थी तुरंत वहां से चली गयी. अच्छन मियां अपने नवासे की साइकिल को औज़ारो से कसने लगे, तभी सलीम बोल पड़ा अब्बू आप भी कहाँ पुराने ज़माने में जी रहे हो सितारन ठीक ही तो कह रही है इतने ट्रैफिक में अगर यह साइकिल चलाएगा तो चोट लगने का डर तो बना ही रहेगा. अब अच्छन मियां अपने बेटे के आगे बेबस थे I

जिस दिन उनका नवासा पैदा हुआ था उसी दिन से अच्छन मियां एक नामी  कंपनी  की छोटी साइकिल ले आये थे की कब उनका नवासा साइकिल चलाने लायक होगा. पर अफ़सोस  यह उस साइकिल  का दुर्भाग्य था की बदलते समय ने उसका सवार छीन लिया था. वह बदनसीब साइकिल अच्छन मियां द्वारा मरम्मत हो कर कोने में आराम करती रहती थीI 

खुदा ने जादुई पंख दिए हुए है 

अच्छन मियां अपने ठीये पर बैठ किसी ग्राहक का इंतज़ार कर रहे थे. पास में ही उनहोंने एक पंछियो का पानी का बर्तन रखा हुआ है. उनको दाना डाल  डालते हुए  सोच रहे हैं,  अब तो मेरे ग्राहक यह पंछी ही रह गए है पर अफ़सोस इनके पास कोई  साइकिल नहीं है जो मुझसे यह ठीक कराएं इनको तो खुदा ने जादुई पंख दिए हुए है जहां चाहे वहाँ उड़ जाते है खुदा का शुक्र है की नीले आसमान में अभी इतना ट्रैफिक नहीं है. नहीं तो यह बेचारे भी मेरे नवासे की तरह अपने पंखो को सिकोड़  कर के अपने घोसलें में ही घुट घुट कर दम तोड़ देते I

जवानी में ही नई उम्र के बच्चे भी मुरझाये हुए से लगते हैं

अच्छन मियां अपने पुरानी यादो में खो जाते हैं क्या जमाना था जब लोग दूर दूर से उनके यहाँ अपनी साइकिल की मरम्मत करवाने आते थे चार चार मिस्त्री रखने के बाद भी दो दो दिन बाद लोगो की साइकिल ठीक हो पाती  थी. ग्राहकों में भी कितना सब्र था चुपचाप अपनी साइकिल  छोड़ कर चले जाते थे पुरे दिन खाने की भी फुर्सत नहीं होती थी इतना काम था, और  ग्राहक भी चेहरे से उत्साहित लगते थे, आज कल तो जवानी में ही नई उम्र के बच्चे भी मुरझाये हुए से लगते हैं I

 जैसे हमने उनकी सड़क कब्ज़ा ली

कोई चार घंटे बाद एक ग्राहक आया. चचा देखना साइकिल में क्या खराबी है अच्छन मियां साइकिल का मुआएना करने लगे,  उन्होंने बलबूटि (हवा भरने वाली रबर ) बदली. थोड़ा तेल डाला, रिम की गोलिया बदली, ब्रेक कसे, साइकिल के पैडल घुमाये, पहिये की रफ्तार देख कर बोले मिया इसे चला कर देखो. ग्राहक ने साइकिल चला कर देखी,  अब ठीक चल रही थी. मिया इसे चलाते रखा करो तभी यह ठीक से चलेगी, हाँ चचा लेकिन आजकल सड़को पर इसे चलाना मुश्किल हो गया है कोई रास्ता ही नहीं देता है हॉर्न मारकर ऐसे देखते हैं जैसे हमने उनकी सड़क कब्ज़ा ली हो.

 जब कोई चीज़ बे जरुरत हो जाये तो उसकी जायज कीमत देने में सभी आनाकानी करते है

  इतने ज्यादा सबको इतनी जल्दी होती है जैसे इनके बिना कोई काम नहीं चलेगा, अच्छन मियां उसकी बातों से निरुत्तर थे, कै पैसे हुए चचा ग्राहक ने पूछा, २५० रुपया चचा बोले, चचा  इतने ज्यादा, बड़े बेमन से उसने रूपये दिए, चचा भी सोच रहे थे जब कोई चीज़ बे जरुरत हो जाये तो उसकी जायज कीमत देने में सभी आनाकानी करते है वही समय के साथ चलने वाली चीज़ को लोग महंगे भी ख़रीद लेते हैं पर अच्छन मियां के पास आज की कमाई आ चुकी थी उनने  दुकान बंद की अपना औज़ारो का बक्शा साइकिल पर रखा और घर की ओर  चल दिएI

 जब दो बेरोज़गार मिल जाये तो समय बातो बातो में कट ही जाता है  

अगले दिन रोज की तरह वोह अपने ठीये पर पहुँचे, पंछियो के बर्तन मेँ पानी भरा,  दाना  डाला, लगता है तुम भी मेरी तरह बेरोजगार हो जो मेरा इंतज़ार करते रहते हो तुम्हारे पास भी कोई काम नहीं है क्या, पंछी चीं-चीं की आवाज कर के अपना दाना चुगने लगे, जब दो बेरोज़गार मिल जाये तो समय बातो बातो में कट ही जाता है I

आप अपनी पुरानी सोच से आगे नहीं बढ़ सकते

दोपहर को अच्छन मियां का बेटा सलीम अपने दोस्त रहमान के साथ अब्बू के ठीये  पर आया, अब्बू यह मेरा दोस्त रेहमान है यह स्कूटर का मिस्त्री है अगर आप चाहो तो इसे अपना ठिया दे दो यह बदले में यहाँ बैठने के हमें पांच हजार रुपया महीना देने को तैयार  है, साइकल मिस्त्री  का काम तो चलता नहीं है बैठे बैठे कुछ आमदनी हो जाएगी, अच्छन मियां ने अपने बेटे को गुस्से से देखा कहा बेटा इस ठीये  से मैंने तुम लोगो को परवरिश की है मैं इसे किसी को नहीं दे सकता, आप अपनी पुरानी सोच से आगे नहीं बढ़ सकते, गुस्से में कहता हुआ चला गया I

अच्छन मियां सोच रहे थे सभी अपना अपना फायदा सोचते हैं, यहाँ  ग्राहक आये न आये मेरा समय तो कट ही जाता है,  यह जगह कभी मेरी तरक्की के समय की साथी रही है. आज इसका ख़राब समय आया है. मैं इसको अनाथ नहीं छोड़ सकता, तभी वहां पर एक महंगी कार रुकी.

नवाब साहेब

उसमे से एक साहब निकले अरे यह तो बड़ी हवेली के नवाब साहब हैं, हवेली के नवाब साहेब अपने ड्राइवर के साथ आये, बोले और अच्छन कैसे हो, अच्छन अपनी जगह से खड़ा हो गया. ठीक हूँ,  हुज़ूर आपने क्यों कष्ट किया आप मुझे बुलवा भेजते. अरे नहीं ऐसे ही आना हुआ मुझे एक बढ़िया सी साइकल चाहिए क्या मेरे लिए बना सकते हो. हुज़ूर यह तो मेरा जहेनसिब होगा कितने दिन में तैयार मिलेगी हज़ूर बस दो दिन का समय दीजिये कल बाजार जाके सामान ले आऊंगा परसो आपको तैयार करके दे दूंगा. नवाब साहेब ने उसे  एक पांच हजार रुपया पेशगी दी कम पड़े तो बता देना ठीक है. ऐसा कहकर नवाब साहेब चले गए I 

अच्छन मियां आज बड़े खुश थे 

अच्छन मियां आज बड़े खुश थे कई अरसे बाद इतने पैसे. एक ही ग्राहक से मिले थे, अगले दिन सुबह सुबह बाजार की ऒर दौड़ पड़े ठोक बजाकर एक दुकान से बढ़िया सी साइकिल के पुर्जे लिए. उसे रिक्शे में डालकर अपने ठीये पर चल दिए, खूब बढ़िया से कसने बैठ गए, साइकिल कसने के बाद जब पहिया घुमाय., सांय सांय  की आवाज दोनों पहिये से आने लगी, अब वह बेफिक्र हो गए, साइकिल रास्तों पर दौड़ने के लिए तैयार थी I

 समाज की सेहत को दुरुस्त बनाने के लिए भी जरूरी हैं 

अगले दिन नवाब साहेब आये अपनी साइकिल मांगी.अच्छन मियां ने साइकिल पर कपडा फेरा और नवाब साहेब से पूछा हुज़ूर ऐसी क्या जरूरत पड़ गयी आपको साइकिल की आपके पास तो इतनी महंगी गाड़िया है. चलाने वाले नौकर हैं नवाब साहेब बोले, डाक्टर ने कहा है रोज कुछ समय कुछ कसरत किया करो या साइकिल चलाया करो आपकी सेहत के लिए दवाइयों से ज्यादा फायदेमंद  होगी.

 मेरे फुफेरे भाई को भी साइकिल चलाने से सेहत में बहुत सुधार हुआ है, लगता है अब वह  दिन दूर नहीं जब लोग अपनी महंगी मोटर गाड़ी को छोड़ कर साइकिल की सवारी को महत्व देंगे नहीं तो बीमार बनके डॉक्टर की दवाइया खा कर अपनी महंगी गाड़ी में सफर करेंगे, अच्छा अच्छन बताओ कितने पैसे और देने है, नहीं हुज़ूर इतने में साइकिल बन गयी है, फिर भी नवाब साहेब ने उसे दो हज़ार रूपये दिए और कहा तुम्हारे जैसे मिस्त्री अपना ही नहीं इस समाज की सेहत को दुरुस्त बनाने के लिए भी जरूरी हैं और हां अपने अपने परिवार के लिए मुझे और बारह साइकिल की और जरूरत पड़ेगी इतना कह कर नवाब साहेब अपनी साइकिल ले कर चले गए I 

ऊपर वाला जब भी देता है छप्पर फाड़ के देता है

किसी ने सही कहा है ऊपर वाला जब भी देता है छप्पर फाड़ के देता ह., अच्छन मियां  को भी अब कुछ समझ में आ रहा है की आजकल के युवाओँ के चेहरे मुरझाये हुए तोंद बड़ी हुई क्यों है. क्योंकि वोह जिस्मानी कसरत नहीं करते हमेशा अपने भविष्य के सपने बुनने के चक्कर में अपना वर्तमान भी ख़राब कर रहे होते है.

कोई अच्छन जैसा सब्र रखकर अपना काम नहीं करते, इन्हे तुरंत सफलता चाहिए, खैर छोड़ो आज बहुत दिनों बाद अच्छन मियां की दुकान में रौनक है I

अब मेरे पास काम आना शुरू हो गया है 

अच्छन मियां अपने बेरोजगार दोस्तों (पंछियो ) के पास गए उन्हे दाना डालते हुए, इतराते हुए बोले मियां. तुम्हे कुछ काम वाम है की नहीं सारे दिन चीं -चीं करते रहते  हो. अब मेरे पास काम आना शुरू हो गया है और ये देखो, कभी देखे है इतने पैसे, अपनी आज की कमाई उन पंछियो को दिखाते हुए बोले, कल समय से अपनी दुकान (ठीये ) पैर बैठना है, अच्छन मियां ने अपनी पुरानी साइकिल उठाई उसकी घंटी बजाइ ट्रिन ट्रिन- ट्रिन ट्रिन इधर पंछीओ का सुमधुर चहचहाट चीं  चीं-चीं  चीं, एक रूहानी संगीत का नजारा पेश कर रहा है,  जो आने वाले समय में रंग ज़माने के  लिए तैयार है I

                                                                                           *****

 

Leave a Reply