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do pyaz char hari mirch ek katori sabji

 

दो प्याज, चार हरी मिर्च, एक कटोरी सब्जी और पोलिश वाले जूते 

 

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 निम्न मध्यम वर्ग परिवार

नामी शहरो में बढ़ती आबादी और स्थिर आय के स्त्रोतों के कारण छोटी सी जगह में ही कई परिवार साथ साथ रहने को मजबूर हुए है. वैसे भी बड़े नामी शहरो में अपना मकान  खरीदना तो आज के समय में किसी निम्न मध्यम वर्ग परिवार के लिए एक सपने ही जैसा है, एक दादा के कई बच्चे फिर उनके बच्चे होने से चाचा ताउओ के घर एक दूसरे से सट सटकर बनने को मजबूर हुए है, ऐसे सटे हुए घरो में किसी के घर में क्या पक रहा है, खिड़की से ही पता चल जाता है|  

संयुक्त परिवार

लता भी ऐसे ही एक संयुक्त परिवार में रहती है जिसमे जेठ देवर और उनके बच्चे फिर उनके भी बच्चे. उनके बीच में रहकर एक भरा पूरा परिवार देखने का सपना उसका जरूर पुुरा हुआ है. उसके पति हेमंत भी चार भाइयो में दूसरे नम्बर के है. हेमंत की परवरिश चूँकि उस मोहल्ले में हुयी थी जिसमे चार पांच दादाओ की पीड़िया एक साथ रहती आयी है, उस मोहल्ले में हर परवर्ती के लोग मिलते है अधिकतर तामसिक, कोई राजसिक तो एक्का दुक्का आध्यामित्क रंग में ढला हुआ भी मिल जाता है.

एक ही घर के बर्तन आपस में टकराते भी है. पर खाने के काम भी वही आते है, हेमंत के भाई भतीजो में आपस में खूब झगड़ा भी होता है. लेकिन अगर किसी के घर में कोई काज हो जाये तो किसी बाहरी मदद की ज्यादा जरुरत मह्सूस नहीं होती. सब अपना अपना काम बखूबी संभाल लेते है. लड़ाई झगड़ा भूलकर सभी कंधे से कन्धा मिलकर खड़े हो जाते है. ऐसे परिवारों में सुख का मजा तो दुगना हो ही जाता है. दुःख भी किसी एक ही हिस्से में नहीं रहता झट से नौ दो ग्यारह  हो जाता है| 

दो प्याज देना

साथ वाले मकान के रसोईघर की खिडकी से आवाज आई. “ओ चाची दो प्याज देना, सब्जी में कम पढ़ गयी है, शाम को वापस दे दूंगा. हेमंत के भतीजे चिंटू ने आवाज लगाई. लता ने उसे अनसुना कर दिया और खाना बनाते हुए बड़बड़ाने लगी. यह जब भी सब्जी बनाता है इसके पास कभी प्याज नहीं होता कभी टमाटर नहीं होता कभी कुछ नहीं होता. घर में मेहमान आये हुए है तब भी मांग रहा है” मैंने भी कम प्याज मंगाई है अभी नहीं है “किचन की खिड़की से ही आवाज लगाते हुए बोली.  अरी  चाची अभी दुकान से लेकर दे दूंगा, मैंने गैस पर तेल चढ़ाया हुआ है. 

हेमंत पास में खड़ा सुन रहा था, “ओये चिंटू  कैच कर, हेमंत ने दो प्याज अपनी खिड़की से चिंटू की खिड़की पर उछाल दी. “चाचू तुसी ग्रेट हो”  चिंटू ने दोनों प्याज उठाते हुए कहा,  इधर लता हेमंत को गुस्से से घूरने लगी. हेमंत ने वहां से खिसकने में ही अपनी भलाई समझी “अभी बाजार ही जा रहा हूँ प्याज भी लेता आऊंगा” हेमंत बाबू वहां से खिसक गए| 

जूते पोलिश 

लता की बहन सपरिवार आयी हुई थी. उसके पति और बच्चे, लता उनकी खातिरदारी में मशरूफ हो गयी, ट्रिन-२ दरवाजे पर दस्तक हुई. देखा तो हेमंत के छोटे भाई का दस साल का लड़का मोनू खड़ा था.  उसने देख लिया था चाची के घर में कोई आया है, कुछ बढ़िया खाने को मिलेगा. “चाची नमस्ते”, हाँ बोल क्या चाहिए लता खीजते हुए बोली. “कुछ नहीं ताई , ताऊ  के जूते पोलिश करने है”, सभी मेहमानो को नमस्ते करते हुए और पैर छूते हुए बोला. मेहमान भी उसे देखकर बहुत खुश हुए कितना जहीन बच्चा है, लेकिन लता को मालूम था यह कुछ खाने की खुशबु सूंघकर आया है. मोनू ने चुपचाप जूते निकाले पोलिश और ब्रश लेकर ताऊ के जूते पोलिश करने बैठ गया.

उसने अपने दोनों हाथ काले कर लिए और पोलिश मुँह पर भी लगा ली, लता की बहन के बच्चे उसे देखकर हंसने लगे, ओये बस भी कर लता ने मोनू से कहा “जा हाथ धो ले कुछ खा ले”, नहीं ताईजी मैं खा कर आया हूं, अगर आप कहती हो तो मेहमानो के बाद खा लूंगा, इसी ताड में तो मोनू बैठा था झट से हाथ धो कर खाने के लिए सज हो गया|  

एक कटोरी सब्जी

ट्रिन ट्रिन फिर से घंटी बजी, इस बार हेमंत के दूसरे छोटे भाई की लड़की थी. गुड़िया कैसे आयी हो, लता ने दरवाजा खोलते हुए कहा. ताई जी पापा ने एक कटोरी सब्जी भिजवाई  है.  कह रहे है जा ताई के घर कुछ अच्छा बना हो तो ले आना. लता के इन देवर ने कोई नाम दान ले रखा था. इसलिए वह घर में बिना लहसुन प्याज की सब्जी बनवाते थे. लहसुन प्याज का स्वाद जब लेने को मन करता था तो, लता का रसोईघर तो था ही जिंदाबाद. उसपे उनका तर्क होता था अपने घर में लहसुन प्याज का खाना नहीं बनना चाहिए अगर कहीं बहार से आये तो परहेज भी नहीं करना चाहिए. इसलिए लता की एक दो कटोरिया सब्जी वहाँ जाती रहती थी. और आज तो मेहमान आये हुए है खास बनना तो लाजिमी है, इसी दूरदर्शी सोच के साथ बिना लहसुन प्याज वाली सब्जी लता के घर आयी थी| 

 चार हरी मिर्च

ट्रिन ट्रिन फिर से घंटी बजी, “कौन है”, लता की बेटी ने पूछा, सुमन चार हरी मिर्च दे देना. तेरे चाचा शाम को सब्जी लाना भूल गए थे. इस बार लता की सबसे छोटी देवरानी दरवाजे पर थी, लता ने कहा सुमन अगर पड़ी हो तो डलिया से निकाल कर दे देना. लता बड़बड़ाने लगी “इन सभी को यही दुकान मिलती है.  चूँकि इन सभी का काम प्राइवेट था आमदनी कम थी जबकि उसके पति का आमदनी उनसे अधिक नहीं तो कुछ जमी जमाई थी.  इसलिए भी प्याज मिर्चो को वह हिसाब नहीं रखती थी. 

एक तो उसके हाथो से बना खाने में स्वाद बढ़ जाता था दूसरा उसे खाने से अधिक खिलाने का भी शौक था. परन्तु कई बार दरवाजा बार बार खोलते हुए  वह खीज जाती थी|  

जो सामान न हुआ करे उसकी सूचि

शाम को मेहमानो के जाने के बाद उसने अपने पति से कहा एक काम करो अपने भाइयो और उनकी औलादो को समझा दो जो सामान न हुआ करे उसकी सूचि सुबह ही दरवाजे पर रख दिया करे. मैं उसे बहार ही निकाल रख दिया करुँगी. कम से कम कोई मेहमान आये तो उनके सामने मांग मांग कर शर्मिंदा तो न किया करे.

 हेमंत बाबू समझ चुके थे, अगर एक शब्द भी कहा तो, शायद कल दफ्तर के लिए कभी लंच भी न मिले. और लता की हाँ में हाँ मिलाकर बोले,  “सारे भिखारी है कुछ भी अपने घरो में नहीं रखते”, “और तुमने भी दो प्याज फेक कर दी थी जैसे मैंने कुछ न देखा हो “, हेमंत बाबू की चोरी पकड़ में आ चुकी थी,  चुपचाप लाइट बुझाई और सो गए | 

परिवार के सभी लोग मिल जुल कर कर लेते है

एक दिन हेमंत बाबू  की तबियत ज्यादा ख़राब हो गयी. अस्पताल में दाखिल होना पड़ा, रोज रात को रुकने के लिए वह बिना लहसुन प्याज वाला भाई धार्मिक किताब के साथ तैयार रहता. बच्चो को स्कूल लेन ले जाने के लिए दूसरे भाई भतीजे तैयार रहते. 

 कभी कोई खाना पीना भेजना होता तो दो प्याज वाला भतीजा दे आता, कभी लता का दिल अपने पति को लेकर छोटा होता तो वह चार हरी मिर्च वाली देवरानी उसको ढाढस बांधने आ जाती. लता अपने पति से मिलने अस्पताल गयी. पति की हालत अब सुधरने लगी थी, “बच्चो का खाना पीना स्कूल तो सब ठीक चल रहा है”. हाँ परिवार के सभी लोग मिल जुल कर कर लेते है, आप अपनी सेहत का ध्यान रखो, लता ने कहा. हेमंत ने लता को समझाते हुए कहा “बड़ा परिवार हर किसी को नसीब नहीं होता यह सब तुमसे कुछ मांगने ही नहीं आते बल्कि हम इनके अपने है हमसे मिलने भी आते है. कुछ माँगना तो हमसे मिलने का  बहाना होता है”.

लता को भी यह बात समझ में आ चुकी थी की कभी किसी को दिया गया वापस जरूर मिलता है, फिर यह तो हमारे अपने ही थे|  

 चाऊमीन तो दुकान पर बनती है

रात हो गयी थी, हेमंत का बिना लहसुन प्याज वाला भाई और उधर प्याज मांगने वाला वाला भतीजा चिंटू अस्पताल में आये. चिंटू हंस रहा था चाचा देखो इन्होने दुकान पर चाउमीन खाई है जिसमे प्याज भी थी. और कहते है मैं बिना लहसुन प्याज का खाना खाता हूँ.  लता ने चिंटू को समझाते हुए कहा, “चिंटू अपने घर में तो यह बिना लहसुन प्याज के ही खाते है” “हाँ भाभी मैं भी तो इसे यही समझा रहा हूँ चाऊमीन तो दुकान पर बनती है, यह मेरी बात पर हँसता है”. बिना लहसुन प्याज वाले भाई ने चिर परिचित तर्क देते हुए कहा. “भाभी आप घर पर जाओ, चिंटू भाभी को आराम से ले जाना”.

 हाँ आपके घर में बताऊंगा आपने अभी प्याज वाली चाउमीन खाई है. और अपने बच्चो को बिना लहसुन प्याज का खान खिलाते  हो, चिंटू ठिठोली करते हुए बोला. “चल भाग यहाँ से नहीं तो अभी पिटेगा” चिंटू हँसता हुआ अपनी चाची को लेकर चला गया|  

मेरा छोटा भाई मुझे रोते हुए देख न ले

 घनी रात हो गयी थी, बिना लहसुन प्याज वाला भाई अपने धार्मिक ग्रन्थ को पढ़ रहा था शायद इस आस में की उसका भाई जल्दी अच्छा हो जाये, हेमंत बाबू उसे पढ़ते हुए सुन रहे थे देखते देखते उनकी आँख भर आयी झट से उन्होंने करवट दूसरी ओर कर ली कहीं मेरा छोटा भाई मुझे रोते हुए देख न ले.

 यह शायद उस धार्मिक ग्रन्थ में लिखे प्रसंग को सुनने की वजह से था या अपने भाई को उसके लिए ऊपर वाले से दुआ मांगने और उसकी सेवा करने के लिए था यह तो हेमंत बाबू ही जानते थे|  आंसू दुःख में ही नहीं निकलते जब अलौकिक सुख की अनुभूति होती है तब भी यह न चाहते हुए भी आँख से निकल पड़ते है, पर जिनके साथ यह होता है वह बड़े तक़दीर वाले होते है| 

खाना तो मैंने घर पर ही खा लिया है

हेमंत बाबू की अस्पताल से छुट्टी हो गयी थी. घर पर सभी हेमंत बाबू का इंतजार कर रहे थे. पूरा परिवार मिलने आया था. मोनू ने हेमंत बाबू के पैर छुए, और मासूमियत से कहा “ताऊजी आप अब दफ्तर जाओगे न मैं आपके जूतों की पोलिश करने आया हूं. खाना तो मैंने घर पर ही खा लिया है, और जूतों पर पोलिश करने बैठ गया, पोलिश करते करते उसका मुँह भी काला हो गया. हेमंत बाबू की हंसी भी उसे देखकर छूट गयी, पुरे घर में ठहाके गूंजने लगे, मोनू भी उन्हें देखकर जोर जोर से हंसने लगा, लता रसोई में थोड़ा सा खाना डालकर ले आयी, मोंटू हाथ मुँह धोकर खाना खा ले, लता भी समझ चुकी थी, जब इसको भूख लगती है तो यह अपने ताऊ के जूते पोलिश करने बैठ जाता है|   

भाई भाभी ने आज क्या बनाया है

ट्रिन  ट्रिन घंटी बजी लता जैसे ही उठने को लगी, “एक कटोरी सब्जी लेती जाना, तेरे बिना लहुसन प्याज खाने वाला देवर मुझसे रास्ते में पूछ रहा था, भाई भाभी ने आज क्या बनाया है, उसी ने किसी बच्चे को भेजा होगा” लता ने एक कटोरी सब्जी निकाली और दरवाजा खोला तो सामने बिना लहसुन प्याज वाले भाई की लड़की गुड़िया खड़ी थी, “ताई पापा ने —–” पूरी बात सुने बिना ही, लता ने उसे अपने हाथ में पकड़ी कटोरी पकड़ा दी, “ताई आपको कैसे पता पापा ने सब्जी मंगाई है”, हेमंत और लता एक दूसरे को देखकर हंसने लगे, कमरे में बैठे हुए पूरा  परिवार  भी ठहाके लगाने लगा |   

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This Post Has One Comment

  1. Durgesh

    Nice and touching story

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