मन्दाकिनी आकाशगंगा
जैसा कि हमने पीछे देखा आज से १५ बिलियन वर्ष एक बिग बैंग महाविस्फोट हुआ था. बहुत अधिक तापमान के कारण इलेक्ट्रान प्रोटोन और न्यूट्रॉन भी अलग हो गए थे. कालांतर में वह अपनी पांचवी स्टेज में ठन्डे तापमान (४००० सेल्सियस ) में एक साथ जुड़े तब एटम का निर्माण हुआ. जिससे हाइड्रोजेन का निर्माण हुआ हाइड्रोजेन से हीलियम का निर्माण हुआ. इन एटम ने आपस में मिलकर एक तारे का निर्माण कर दिया। तारे एक पुंज में थे उन पुंजों को गैलेक्सी या आकाशगंगा कहा गया. उनमे से एक आकाशगंगा हमारी भी है जिसका नाम मन्दाकिनी है.
बिगबैंग की जानकारी के लिए लिंक पर जाएं https://padhailelo.com/brahmand-universe-origion/
आकाशगंगाओ का महापुंज
ग्लैक्सी भी एक साथ रहीं और इन साथ रहने वाली गलक्सीओं के समूह को गैलक्सी का सुपर क्लस्टर या आकाशगंगाओ का महापुंज कहा गया साधारणत: एक महापुंज या सुपर क्लस्टर में तीन आकाशगंगा होती है, ब्रह्माण्ड में ऐसी कितनी सुपर क्लस्टर या आकाशगंगाओ का समूह हैं इन्हे गिना नहीं जा सका है क्योंकि यह अनंत हैं.
एंड्रोमेडा (NGC. २२४ m ३१) और (NGC. ५९८ m ३०)
एंड्रोमेडा (NGC. २२४ m ३१) और (NGC. ५९८ m ३०) हमारी मन्दाकिनी की दो अन्य पड़ोसन आकाशगंगाये हैं. एंड्रोमेडा का आकार मन्दाकिनी से बड़ा है इसमें मन्दाकिनी से अधिक तारे स्थित है. तथा इसकी दूरी मन्दाकिनी से लगभग 2.2 मिलियन प्रकाश वर्ष है किन्ही दो आकाशगंगाओ के बीच की औसत दुरी लगभग 2.2 मिलियन प्रकाश वर्ष से 4 मिलियन प्रकाश वर्ष तक होती है. इन पड़ोसी आकाशगंगाओ के बारे में इससे अधिक जानकारी अभी वैज्ञानिको के पास नहीं है.
मन्दाकिनी गैलेक्सी
हमारी गैलेक्सी की उम्र १२ मिलियन वर्ष है जिसमे में १०० अरब मिलियन तारे हैं जिसमे से केवल ७००० तारे हमसे या हमारे सूर्य से १००० वर्ष प्रकाश वर्ष दूरी पर स्थित हैं जिन्हे हम नंगी आँखों से देख पाते हैं बचे हुए तारों को देखने के लिए हमें टेलीस्कोप की आवश्यकता पड़ती है.
तीन घूर्णनशील भुजाये
मन्दाकिनी में तीन घूर्णनशील भुजाये है तथा यह अपने एक्सिस (अक्ष ) पर रोटेड (घूम) रही है. घडी की विपरीत दिशा में ऐसा क्यों है क्योंकि बिगबैंग के समय जब त्रीव विस्फोट हुआ था तब पदार्थ सीधा न निकल कर घूमता हुआ निकला था जैसे कहीं dainamite से विस्फोट करते हैं तब उस इमारत के ईंट पत्थर घूमते हुए निकलते है न की सीधे क्योंकि उनके पीछे एनर्जी होती है उन्हें एक एंगुलर ऑफ़ मोमंटुम मिल जाता है . ठीक यही बिगबैंग के समय हुआ था. इसे अमेरिका के खगोलशास्त्री हब्बल ने अपनी दूरबीन से देखा है. तभी हमारी आकाशगंगाये एक दूसरे से दूर घूमते हुए बाहर जा रही हैं. यह भी इसका एक प्रमाण है.
मन्दाकिनी की आंतरिक सरंचना
ब्लैक होल
हर आकाश गंगा की एक धुरी होती है हमारी आकाश गंगा की भी एक धुरी है यह अत्यधिक सघन क्षेत्र है (यहाँ डेंसिटी बहुत अधिक है ) यह बहुत मजबूत है जो आयरन का बना है, यह भी घूम रहा है, जिसे ब्लैक होल कहते है . जैसे साइकिल पहिये की धुरी पुरे पहिये के मुकाबले ठोस होती है. जब साइकिल के पहिये को सड़क पर रख कर घूमाते है तब उस में लगे टायर tube के साथ वह अक्ष भी घूमता है ठीक ऐसी ही ब्लैक होल भी घूम रहा है.
तीन घूर्णनशील भुजाये
मन्दाकिनी में तीन घूर्णनशील भुजाये है जो की तारों से बनी हैं जिनमे ह्य्द्रोज़ेन और हीलियम की मात्रा अधिक होती है. इसमें भी हर भुजा में अलग अलग प्रकार के तारे होते हैं. सबसे आंतरिक भुजा में ब्लैक होल के नजदीक बूढ़े तारे होते हैं जिन्हे ऑरेंज या रेड स्टार कहते हैं क्योंकि इनका ह्य्द्रोज़ेन और हीलियम (एनर्जी ) समाप्त हो चूका होता है, धीरे धीरे यह ब्लैक होल में समाहित हो जाते हैं, हमेशा के लिए.
मध्य वाली भुजा में कुछ चमकदार नीले तारे होते हैं अपनी जवानी से भरपूर। जब आकाश में हम नीले टिमटिमाते तारे देखो समझ लेना वह जवान तारा है और लाल या ऑरेंज तारा देखो समझ लेना यह बूढ़ा तारा है. सबसे बाहरी भुजा में तारो का जन्म होता है जिन्हे एम्ब्र्यो स्टार (ध्रूम तारा ) कहते हैं या तारे का बचपन। इस प्रकार तारे का भी एक जीवन होता है.
ध्रुव तारा
विज्ञान मन्दाकिनी की आंतरिक भुजा के तारों (बूढ़े तारों ) और बाहरी भुजा के तारों (बच्चा तारा ) को अधिक नहीं पढ़ पाया है. मध्य भुजा के कुछ तारों को पढ़ पाया है. हमारा सूर्य एक जवान तारा है इसलिए यह मन्दाकिनी की मध्य भुजा में स्थित है, उसका पडोसी तारा धूर्व तारा है पृथ्वी से लगभग ७०० प्रकाश वर्ष दूर है . रात में आकाश में सप्त ऋषि तारो के आखिरी दो ऋषि के ऊपर जो तारा एक सीधी रेखा में दिखाई देता है वही ध्रुव तारा है. अगर ध्रुव तारा एक जगह दिख जाये तब वह पूरी रात वहीँ स्थिर रहेगा जबकि सप्त ऋषि पश्चिम में घूम जायेंगे क्योंकि पृथ्वी पश्चिम दिशा में घूम रही है.
प्रोक्सिमा सेंचुरी, sYRUS (डॉग स्टार) AND ओरियन नेबुला
सूर्य के सबसे नजदीक तारे का नाम प्रोक्सिमा सेंचुरी है सूर्य से दूरी लगभग ४.३ प्रकाश वर्ष।इसके बाद सीरस या डॉग स्टार जिसकी दुरी सूर्य से लगभग ९ प्रकाश वर्ष दूर है इसका द्र्वयमान सूर्य से अधिक है. इसलिए यह आकाश में सबसे चमकदार दिखाई देता है . इसके बाद एक ओरियन नेबुला तारा है जो अपनी जवानी का अधिकांश भाग बिता चूका है.
पलसर तारा
आंतरिक भुजा के समीप एक PULSAR तारे की भी पहचान हुई. पलसर अवस्था वह स्थिति है जिसमे तारा का कोर में हाइड्रोज़न समाप्त हो चुका है केवल हीलियम बचा है. जिससे उसमे अभी थोड़ी नीली चमक है. जैसे हमारी धड़कन चलती है ऐसे ही यह तारा धक् धक् कर के चमकता है. इसके बाद यह ऑरेंज या लाल हो जायेगा अर्थात बूढ़ा हो जायेगा। ऐसे कई तारे हमारी आकाश गंगा में स्थित हैं जिनका अभी हाल ही में पता लगा है.
M १३ ग्लोब्यूलर क्लोस्टोर और उपग्रह गैलेक्सी
m १३ ग्लोब्यूलर क्लोस्टोर कुछ तारों के समूह हैं इसके आलावा बाहरी भुजा में स्माल एंड लार्ज मेगनलिक क्लाउड जैसे तारो का समूह दिखाई देता है इन्हे setelite गैलेक्सी भी कहते है क्योंकि यह गैलेक्सी के अंदर उपग्रह ग्लैक्सी की तरह दीखते हैं. यह हमारे सूर्य से बहुत दूर हैं.
मिल्की वे
रात में तारों की एक दूधिया तारे की एक पट्टी जैसी दिखती है जिसे मिल्की वे कहा जाता है यह आकाशगंगा का एक भाग है . हमारी पृथ्वी सूर्य के चारो और परिक्रमा करती है एक बार मिल्की वे अधिक चमकदार दिख सकती क्योंकि उस वक्त हम जवान तारों की पट्टी को देखते हैं अगर पृथ्वी घूम जाती है तब हमें बूढ़े तारो की पट्टी दिखाई देती है जिनमे अब कम चमक होती है. क्योंकि हमारा दृश्य पथ सिमित है हम तारो की दोनों पट्टीओं को एक साथ नहीं देख सकते।
तारे के आगे तारे के पीछे तारे
हमारा सूर्य भी अपनी आकाश गंगा के चक्कर लगा रहा है. एक चक्कर पूरा करने में उसे लगभग २०० मिलियन वर्ष लगते हैं. उसके साथ अन्य तारे भी आकाश गंगा का चक्कर लगाते हैं. कोई तारा किसी से पहले आकाश गंगा का चक्कर नहीं लगा सकता क्योंकि तारे के आगे तारे के पीछे तारे सभी अपनी पंक्ति में चलते हैं. इन में कुछ तारो के गृह उपग्रह भी होते हैं जैसे हमारे सूर्य के इसलिए सभी अपने पथ पर चलते हैं. (वैसे भी वह तारे हैं आदमी नहीं जो न जाने कितनी बार अपने पथ से भटकता है)
इस प्रकार हमने जाना की एक आकाश गंगा कैसी होती है कितनी आकाश गंगाये हैं किसी को भी नहीं पता फिर भी हम घूम रहे हैं. इस ब्रह्माण्ड में अपनी आकाश गंगा मन्दाकिनी के साथ. कैसे घूम रहें हैं यह ढूँढना पाठको का काम है.
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