You are currently viewing शैल (चट्टान)

शैल (चट्टान)

शैल (चट्टान)

पृथ्वी के अंदर क्या है 

हमारी पृथ्वी एक गतिशील ग्रह है, इसके अंदर और बहार निरंतर परिवर्तन होता रहता है, अभी पीछे हमने जाना की कैसे पृथ्वी  कहीं  से ऊपर उठ जाती है कहीं से नीचे धंस जाती है, कहीं शैल (चट्टान) निरंतर पानी में घिसकर टूट जाती है रेत या मिटटी बन जाती है और कहीं पर अपने आप ही धंसकर खाई या पर्वत बन जाती है, अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर जाएं. https://padhailelo.com/prithvi-ki-gatiyan/

क्या आपने सोचा है की पृथ्वी के आंतरिक भाग में क्या है यह किन पदार्थों  से बनी है, आइये कुछ इस बारे में जानें:

सीएल /सीमै 

पृथ्वी का आंतरिक भाग प्याज की तरह है. पृथ्वी भी एक के ऊपर एक संकेंद्री परतों से बनी है. पृथ्वी की सबसे ऊपरी सतह को पर्पटी कहते हैं. यह सबसे पतली परत होती है. यह महाद्वीपीय संहति (भूमण्डल) में ३५ किमी (किलोमीटर) एवं समुद्री सतह में केवल ५ किमी. तक है. महाद्वीपीय संहति मुख्य रूप से सिलिका एवं एलुमिना जैसे खनिजों से बनी है इसलिए इसे सीएल (सि-सिलिका तथा एल-एलुमिना) कहा जाता है, महासागर की पर्पटी मुख्यतः सिलिका एवं मैग्नीशियम की बानी होती है इसलिए इसे सीमै (सि-सिलिका मै-मैग्निसियम) कहा जाता है.

मैंटल /निफे 

पर्पटी के ठीक नीचे मैंटल होता है जो २९०० किमी की गहराई तक फैला होता है इसकी सबसे आंतरिक  परत क्रोड  है, जिसकी त्रिज्या लगभग ३५०० किमी है, जिसे  निफे (निकिल तथा फैरस) कहते है, केंद्रीय क्रोड का तापमान एवं दाब काफ़ी  उच्च होता है. 

पृथ्वी अनेक शैलों (चट्टान) से बनी है, .पृथ्वी की पर्पटी बनाने वाले खनिज पदार्थ के किसी भी प्राकृतिक पिंड को शैल कहते हैं, शैल वभिन्न रंग, आकार और गठन की हो सकती है.

मुख्य रूप से शैल तीन प्रकार की होती हैं:

शैल (इग्नियस आग्नेय )                          

इग्नियस एक लैटिन शब्द है जिसका अर्थ है अग्नि 

अवसादी शैल (सेडीमेंट्री)

सेडीमेंट्री एक लैटिन शब्द है जिसका अर्थ है स्थिर  

कायांतरित शैल (मेटामॉरफिक)

मेटामॉरफिक एक लैटिन शब्द है जिसका अर्थ है रूप परिवर्तन 

शैल (इग्नियस आग्नेय )

जब किसी ज्वालामुखी से निकलने वाला पिघला हुआ लावा (मैग्मा)  ठंडा होकर ठोस हो जाता है.  इस प्रकार से बने शैल को आग्नेय शैल कहते है,. इन्हें प्राथमिक शैल भी कहते हैं, आग्नेय शैल दो प्रकार की होती हैं: अंतर्भेदी शैल एवं बहिर्भेदी शैल.

जब किसी ज्वालानुखी का लावा (मैग्मा) अपने मुहाने से बहार आकर तेजी से ठंडा हो जाता है इसे बहिर्भेदीआग्नेय शैल कहते हैं और जो लावा ज्वालामुखी लावा (मैग्मा) इसके अंदर ही ठंडा हो जाता है उसे अंतर्भेदी आग्नेय शैल कहते हैं.

बहिर्भेदी आग्नेय शैल की बनावट बहुत महीन दानो वाली होती है जैसे दक्कन का पठार. दक्कन का पठार (महाराष्ट्र में ७५-८० प्रतिशत बाकि गुजरात और मध्य प्रदेश में स्थित है, यहअपनी काली मिटी जिसे कपासी मिटटी भी कहते है, के लिए प्रशिद्ध है)

अंतर्भेदी आग्नेय शैल का लावा ज्वालामुखी के अंदर (भूपर्पटी के अंदर ) रहने के कारण  धीरे-२ ठंडा होता है, इस कारण से यह बड़े दानों का रूप ले लेता है. ग्रेनाइट ऐसे ही शैल  का उदाहरण है, मसलो तथा दानो का चूर्ण बनाने के लिए जिन पत्थरों का उपयोग होता है वह ग्रेनाइट के बने होते हैं.

जितनी भी खनिज सम्पदा होती है वह आग्नेय शैलों में ही होती है. भारत में अरावली श्रृंखला और कर्णाटक की धारवाड़ श्रृंखला विश्व की प्राचीनतम आग्नेय शैल हैं,  इनका निर्माण पृथ्वी जन्म के बाद के आरम्भिक काल में हुआ है.

अवसादी शैल

शैल लुढ़ककर, चटककर तथा एक दूसरे से टकराकर छोटे-२ टुकड़ो में टूट जाते हैं, इन छोटे कणो  को अवसाद कहते हैं, यह अवसाद हवा, जल, आदि के द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचाकर जमा कर दिए जाते हैं, यह कमजोर अवसाद दबकर एवं कठोर होकर शैल  की परत बनाते हैं, इस प्रकार की शैलों  को अवसादी शैल कहते हैं. उदाहरण के लिए बलुआ पत्थर रेत  के दानों  से बनता है (लाल किला बलुआ पत्थर से बना है और क्या बना है जरा ढूंढे) 

इन शैलो में पौधों, जानवरों एवं अन्य जानवरो के जीवाश्म (शैल  की परतो में दबे मृत पौधों एवं अन्य जंतुओं के सूक्ष्म अवशेषों को जीवाश्म कहते है ) के शुक्ष्म अवशेष भी हो सकते हैं जो कभी इन शैलों  पर रहे हैं.

कायांतरित शैल 

आग्नेय एवं अवसादी शैल उच्च ताप एवं दाब के कारण कायांतरित शैलो में परिवर्तित हो सकती है जिसे चिकनी मिटटी स्लेट में एवं चुना पत्थर संगमरमर में. ( ताजमहल संगमरमर से बना है और क्या बना है पता लगाएं) 

शैल हमारे लिए बहुत उपयोगी हैं, कठोर शैलों  का उपयोग सड़क, घर एवं ईमारत बनाने के लिए किया जाता है

इस प्रकार शैल किसी निश्चित दशा में एक प्रकार की शैल से दूसरी शैल में परिवर्तित हो जाती है जिसे शैल चक्र कहते है: 

(द्रवित मैग्मा —आग्नेय शैल —–अवसादी शैल —— कायतंरित शैल (रूपांतरित ) —- द्रवित मैग्मा—- आग्नेय शैल ——)

खनिज 

शैल विभिन्न खनिजो से बनी  होती है. खनिज प्राकृतिक रूप में पाए जाने वाले पदार्थ हैं जिनका निश्चित भौतिक गुणधर्म एवं निश्चित रासायनिक मिश्रण होता है.  खनिज मानव जाती के लिए बहुत उपयोगी हैं  कुछ का उपयोग ईंधन की तरह होता है जैसे कोयला, प्राकृतिक गैस, एवं पेट्रोलियम.  इनका उपयोग औषधि उधोगो एवं उर्वरक के रूप में भी होता है जैसे लोहा, एल्युमीनियम, सोना, यूरेनियम इत्यादि।

शैलों  के अनुदान 

आज हम सारे विश्व में सड़को, भवनों, गहनों, दवाइयों, इंधनो या विभिन्न उद्योगों का जो मंजर देखते हैं कहीं न कहीं हमारी पृथ्वी के इस आंतरिक भाग की गति (शैल चक्र) द्वारा ही संभव हुआ है. इसलिए हमें इन शैल चक्रो द्वारा प्रदान किये हुए अनुदानों का उपयोग विवेक, समझदारी और कृतज्ञता से करना चाहिए।

इन शैलो पर पुरे जैवमंडल का हक़ है केवल मानव का ही नहीं और जंतुओ का भी है (मानव भी एक जंतु है ) क्योंकि शैले भी इस जैवमंडल, पर्यावरण और पारितंत्र (see this https://padhailelo.com/paryavran/ का एक उपयोगी घटक है.

shal

                                                                                   *****

Leave a Reply