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शेख चिल्ली की खीर


                                                                 शेख चिल्ली की खीर 

खेतो की रखवाली

खेतो की रखवालीशेख चिल्ली रोज की तरह रात को अपनी मचान पर बैठा हुआ खेतो की रखवाली  कर रहा था, तभी उसने देखा एक चार पांच लोगो की टोली छिपते छिपते पगडंडियों पर बढ़ी जा रही है, शेख चिल्ली उनके सामने आ गया, अबे कहाँ  को जा रहे हो, भैया हम काम की तलाश में जा रहे हैं, तुम कौन हो एक चोर बोला. 

शेख चिल्ली बोला मैं यहाँ खेतों की रखवाली करता हूँ ओह तुम भी पहले वाले मेहनती लोगो की तरह लगते हो उनके ढके हुए चेहरे को देखकर शेख चिल्ली बोला, पहले वाले कौन से, उनमे से एक बोला क्योंकि उन्हें नहीं पता था कि शेख चिल्ली उनसे पहले उनकी जमात की एक टोली को अपनी मंद बुद्धि या यूँ  कहे उसके भोलेपन की वजह से, पकड़वा कर पिटवा  चुका  था,.

अम्मी भी कहती है दिन  रात मेहनत करनी चाहिए

अरे नहीं  भैया तुम से पहले भी कुछ तुम्हारे जैसे मेहनती लोग मुझे भी अपने साथ ले गए थे, बड़े भले लोग थे,  कुछ ही घंटो में  बोरा भरकर खूब माल  लाते थे, मैं भी उनके साथ एक ढोल लेकर आया था बहुत अच्छा बजता था, चोर समझने लगे यह भी हमारे जैसा लगता है, जाओ भैय्या अम्मी भी कहती है दिन  रात मेहनत करनी चाहिए, खूब मन लगा कर काम करो| 

मैं भी तरक्की करना चाहता हूँ

रात को शेख चिल्ली ने उन्हें वापस आते हुए देखा , उनके हाथ में बहुत सामान लगा था, शेख चिल्ली मन ही मन सोचने लगा अबकी बार  जब यह यहाँ से जायेंगे मैं भी इनके साथ जाऊंगा, कुछ दिन बाद वोही टोली जा रही थी शेख चिल्ली की मन की मुराद पूरी हो गयी,  भैया आ गए काम पर जा रहो हो, हाँ, उनमे से बोला, भैया मुझे भी साथ ले चलो, मैं भी तरक्की करना चाहता हूँ, तुम्हारा काम सीखना चाहता हूँ.

नहीं इसके लिए बहुत अभ्यास करना पड़ता है. तुम अपना काम करो वोही ठीक है, शेख चिल्ली बोला  मेरी तरक्की से जलते हो,  ले चलते हो या अभी शोर मंचाऊ. वोह बेचारे डर गए उनने कहा ठीक है पर तुम कुछ करना मत, हमें देखते रहना, हाँ ठीक है शेख चिल्ली बोला| 

कुछ बढ़िया सा खाने को मिल जाये

रात के घने अँधेरे में वोह एक गांव में घुस गए, गांव के कुछ कुत्ते भौंकने लगे, उन्होंने कुत्तो को कुछ रोटियां डाली, गुड़ डाला कुत्ते रोटिया-गुड़ खाकर शांत हो गए, वोह आगे बढ़ गए, रोटियां और गुड़ देखकर शेख चिल्ली की भूख बढ़ गयी, चोर अपना काम करने लगे, कोई कपडे उठा रहा है, कोई बर्तन उठा रहा है कोई अनाज उठा रहा है, शेख चिल्ली यही देख रहा था कही कुछ बढ़िया सा खाने को मिल जाये| 

    वोह सब एक घर के पास रुक गए, वहां उन्होंने देखा एक बूढ़ी अम्मा आँगन में सो रही थी. वह  ताड गए, इस घर में हम आराम से कुछ रुपया पैसा भी ढूंढ सकते  हैं कोई और घर में दिखाई भी नहीं दे रहा.

गर्म गर्म खीर

वोह उस घर में दाखिल हो गए, वोह सब घर के आले दीवाले खंगालने लगे, जबकि शेख चिल्ली की नज़र आंगन में बने चूल्हे पर पढ़ी, उसने देखा चूल्हे के ऊपर गर्म गर्म खीर एक पतीले में धीमी आंच में धीरे धीरे उबल रही है,.

शेख चिल्ली ने पास में रखी थाली में खीर डालकर उसका स्वाद लेने लगा,  बहुत बढ़िया बनी है हुम् मजा आ गया, उसने उन सभी चोरो को भी  थोड़ी  खीर खाने को  दी चोर खीर खा कर फिर से अपने काम  में लग गये.

शायद यह खीर मांग रही है

जब शेख चिल्ली का  पेट भर गया तब उसकी नज़र सोती हुई बूढी अम्मा पर पढ़ी,  उसका हाथ चारपाई में ऊपर की और चित खुला हुआ था सोते हुए उसका मुँह भी खुल गया था. शेख चिल्ली ने सोचा बूढी अम्मा ने बहुत अच्छी खीर बनाई है, शायद यह खीर मांग रही है,.

थोड़ी खीर इसको भी देनी चाहिए शेख चिल्ली थाली में खीर लेकर बूढी अम्मा के पास पहुंचा, उसने थोड़ी खीर बूढी अम्मा के हाथ में और थोड़ी खुले मुँह में  उड़ेल  दी, तेरी खीर है अम्मा तू भी खा नहीं तो कुछ नहीं बचेगा.

तोये धरके निया गड्ढे में सरका दूँ

जैसे ही गर्म गर्म  गर्म खीर बूढी अम्मा के हाथ और मुँह पर पड़ी, अम्मा  दर्द से चिल्ला उठी, ऐ  दुष्ट अन्यायी जला दी, अरी  मैया मर गयी, ऐ तोये फुंकू, तोये धरके निया गड्ढे में सरका दूँ, तोये शर्म न आयी, बूढी अम्मा ज़ोर  ज़ोर से चिल्लाने लगी| 

 यह देखकर  सभी चोर डर  के मारे इधर -उधर छिप  गए, कोई पलंग के नीचे, कोई बड़े बक्से में , कोई लकड़ी की अलमारी में,  कोई आँगन में खड़े पेड़ की टहनियों में. शेख चिल्ली भी उनकी देखा देखि घर की टाण्ड पर  छिप  गया,  शोर सुनकर पूरा मोहल्ला  जमा  हो गया,  क्या हुआ अम्मा क्यों रो रही है,.

तो उपल्ला (ऊपर वाला ईश्वर) ही जाने है

अरे बेटा मोए न पता   किनने मेरे हाथ और मुँह पर गरम खीर डाल दी है, किसने डाली है अम्मा एक ने पूछा. बूढी अम्मा बोली मोए न पता लाला यू  तो उपल्ला (ऊपर वाला ईश्वर) ही जाने है, एक हट्टा कट्टा  सा जवान आकर बोला किसने डाली है अम्मा अभी उसको मज़ा चखाये देते हैं,  पता नहीं मेरे लाला यू तो  उपल्ला  ही  जाने है अम्मा ऊपर की ऒर हाथ उठा कर बोलने लगी|

    शेख चिल्ली ने देखा अम्मा बार बार उपल्ला ही जाने है-उपल्ला ही जाने है कह रही रही है, और मेरी तरफ ही हाथ उठा कर बोल रही है (क्योंकि वह टांड पर छिपा था). लगता है अम्मा को लगता है इसकी सारी खीर मैंने ही खाई है खीर तो इन चारो ने भी खायी थी, यह कुछ नही  बोल रहे.

उनकी खूब पिटाई की

अगले ही पल , वह टांड से नीचे  कूद गया, क्या अम्मा बार बार तुम उपल्ला उपल्ला ही कह रही हो, यह जो बड़े संदूक  में  जा घुसा है यह न जाने, और यह जो पेड़ पर चढ़ा है यह न जाने , यह लकड़ी की अलमारी में छिपा है यह न जाने और यह जो पलंग के नीचे छिपा है यह न जाने, इकठे हुए लोग एक दूसरे का मुँह देखने लगे और चोर अपना सर पीटने लगे, वोह सब वहाँ से भागने की कोशिश करने लगे पर सभी गांव के लोंगो ने उन्हें घेर कर पकड़ लिया, और उनकी खूब पिटाई की. 

तना बेवकूफ नहीं हूँ 

जब गांववालो  से पिटाई खा कर  वह घर की और आ रहे थे एक चोर ने कहा अबे तूने बूढी अम्मा के ऊपर गरम खीर क्यों डाली.  शेख चिल्ली बोला,  तुमको भी तो मैंने गरम गरम खीर खीर खिलाई थी. बूढी अम्मा को ठंडी खीर क्यों देता खीर तो उसीने बनाई थी. इतना बेवकूफ नहीं हूँ मै,  सभी चोर अपना सर पकड़ कर बैठ गए|             

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