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शेर से ज्यादा डर टपके का होता है

                                        🐯🐯🐯शेर से ज्यादा डर टपके का होता है 🐻🐻🐻

                                                                        *****

दीनू की कुटिया    

दीनू आज अपनी कुटिया की खपरैल की छत की मरम्मत कर रहा है. वह कई दिनों से उस छत पर परत दर परत घास फूस की मोटी तह बनाये जा रहा  है. उसकी पत्नी की आवाज आती है अजी सोमू  के बाउजी अँधेरा भी हो गया है, “सुनते हो खाना बन कर तैयार है खाना खा लो बाकि का काम सुबह कर लेना.  दीनू का सात आठ साल का बेटा भी अपने पिता को छत पर काम करते हुए देख रहा है,  सोमू और उसके भाई बहिन भी अपने पिता को छोटी छोटी बांस की घास और बांस की डंडिया  लाकर दे रहे  हैं . “थोड़ा सा काम और रह गया है, अभी निपटा कर आता हूँ”, दीनू छत के ऊपर से ही बोला| 

दीनू  और  परिवार

दीनू अपने परिवार में बूढ़े माता पिता और चार छोटे बच्चों, सोमू, मंगलू मुनिया, गुड़िया  के साथ जंगल से लगे एक गांव के नुक्कड़ पर अपने कच्चे मिटटी और घास फूस से बने घर में रहता था. कुछ गांव  में मजूरी मिल जाती थी तो जैसे तैसे गुजर बसर कर लेता था. पुरे साल वह कच्चा घर उस परिवार को मौसम की बेरहम मार से बचा लेता था. परन्तु बारिश के दिनों में उन्हें जाग जाग कर रात काटनी पड़ती थी. बारिश का पानी कहीं से भी छत से टपक पड़ता था, दीनू और उसकी पत्नी जैसे तैसे अपने बूढ़े मां बाप और छोटे बच्चों को बारिश के पानी से बचाते थे, टपका छत से कहीं से भी गिर जाता था| 

सत्यानाशी टपका

दीनू और उसके परिवार ने शाम का रुखा सूखा भोजन खा लिया था. पूरा परिवार इत्मीनान के पलों को सजोए हुए.  साथ बैठा था. “अरे दिनुआ क्या अबकी बार छत  ठीक से मरम्मत कर दी है कही कोई छेद तो नहीं छोड़ा है”. “हाँ बाबा बना तो ली है, अगर टपका ( बारिश का पानी छत से टपकना ) ने जोर लगाया तो यह भी अधिक दिन  तक साबुत न रह पायेगी” दीनू अपने पिता से बोला.  “यह सत्यानाशी टपका भी हम जैसे गरीबों, लाचारों  के पीछे पड़ा रहता है सेठो साहूकारों, जमीदारो से यह भी डरता है न जाने कौन जन्म का बदला लेने आता  है”, दीनू के पिताजी बांस के बने बान की टूटी चारपाई पर लेटे लेटे  बोले,.

डंडे और आग से ना  डरता  है

मंगलू बोल पड़ा “बाउजी पिछली बार तो हमारे घर शेर भी आया था, सियार भी आया था, तुमने उसे डंडे से और आग जलाकर भगाया था, टपका को भी डंडे से और आग से भगा देना”, मंगलू अपने पिता से बोला   “नही रे बिटुआ यह  डंडे और आग से ना  डरता  है, रात बहुत हो गयी है अब सो जा, उसने प्यार से समझाते हुए अपने बेटे से कहा| 

 आज सुबह से ही नीला आसमान घने काले बादलो से घिर आया था. लगता था आज जोर की बारिश होने वाली है. दीनू और उसका परिवार इसी चिंता में अपनी कुटिया में बैठा था, रात भी होने को आयी, जंगल से एक  सियार आज शाम को कुछ खाने की तलाश में दीनू के घर के बाहर  घात लगाए बैठा था,.कोई शिकार उसके हाथ लग जाये, एक उल्लू भी पेड़ पर बैठा सियार की तरफ नजरे गड़ाए बैठा था.

 जंगल का राजा शेर भी आ जाये 

दीनू इसी चिंता में है की कही रात में बारिश न हो जाये, उसके बच्चे ने कहा “बाउजी मैंने एक सियार देखा है हमरे घर के बाहर ही खड़ा है”, “अरे बिटुआ सियार तो कुछ भी नहीं अगर जंगल का राजा शेर भी आ जाये उसका भी इतना डर नहीं जितना इस टपके का है”.  छत के बांसो को जोर से बांधते हुए बोला, उनकी यह बातें सियार और उल्लू भी सुन रहे थे, जैसे ही उनहोने जंगल के राजा शेर का नाम सुना उनमे खलबली मच गयी. 

उनोहोने कुटिआ की ओर  अपने कान लगा लिए, यह कौन सा नया जानवर आ गया जो यह आदमी शेर से भी नहीं डरता बल्कि उस टपके से डरता है, उन्होंने सोचा यह खबर तो जंगल के राजा को बतानी चाहिए, उनके होते हुए यह कौन टपका नामक खतरनाक जानवर जंगल में आया है| 

उल्लू और सियार और टपके का डर

उल्लू और सियार दोनों जंगल की ओर भागे. रास्ते  में जो भी जानवर उन्हें मिलता उसे वह यही बताते “महाराज (शेर) से भी बड़ा कोई जानवर आ चुका  है, उसका नाम टपका है, नुक्कड़ की कुटिया वाला आदमी भी हमारे महाराजा से न डर कर  उस टपके से डरता है”.

यह बात एक दूसरे छोटे बड़े जानवरो द्वारा आग की तरह पुरे जंगल में फैल गयी, छोटे बड़े सभी जानवर, सांप, नेवले, बिछु, तोते चिड़िया, मैना कबूतर हाथी भालू आदि शेर की गुफा के पास इकठे हो गए. “दुहाई हो महाराज”, शेर गुफा से बाहर  निकल कर आया. “क्या हो गया किसलिये आये हो सब”, भालू बोला “महाराज यह सियार और उल्लू बता रहे है कोई आपसे से भी बड़ा ताकतवर आ गया है, टपका नाम है उसका”,. “हाँ महाराज हमने अपने कानो से सुना है नुक्कड़ वाले घर में जो आदमी रहता है वह कह रहा था, उसे आपसे (शेर)  डर  नहीं लगता बल्कि टपके से लगता है”. जब शेर ने सभी जानवरो को डरे सहमे देखा तो धौस जमाते हुए कहा, “अच्छा आज ही मै उस टपके  से मिल कर आता हूँ”. 

शेर रात के अँधेरे में कुटिया के बहार खड़ा हो गया

 शेर अँधेरे में उस कुटिआ की ओर  चल पड़ा, पीछे पीछे कुछ बड़े छोटे जानवर भी शेर के पीछे चल पड़े, शेर भी थोड़ा डर गया था क्योंकि उसने भी टपके का नाम पहली बार सुना था, वह मन ही मन सोच रहा था जब सभी जंगल के वासी इतने पक्के विश्वास से बोल रहे है, हो न हो कोई मुझसे भी ज्यादा ताकतवर और साहसी होगा जिससे उस कुटिया का आदमी भी डरता है, डरते छिपकते शेर रात के अँधेरे में कुटिया के बहार खड़ा हो गया और टपके का इंतजार करने लगा| 

जोर की बारिश 

तभी जोर की बारिश शुरू हो गयी, दीनू के बाबा  बोल पड़े  “अरे दीनू टपका मोपे भी गिर  रहा हैजल्दी से कुछ कर “, दीनू के बच्चे भी बोल पड़े “बाउजी टपका यहाँ से भी गिर  रहा है , दीनू बोला   “अब इस टपके से तो उपल्ला (भगवान) ही बचाये, यह तो हर जगह से आ रहा है”, शेर कुटिया के बहार खड़ा होकर उनकी बातें सुन रहा है, और मन ही मन डरे भी जा रहा है,  यह तो बहुत ताकतवर है हर जगह से वार करता है, मुझे आसपास कोई दीखता भी नहीं है, जरुर ही यह  छिप कर वार करता है,  दीनू की पत्नी भी बोल पड़ी “सुनोजी टपका यहाँ से भी आ रहा है”, अब शेर बुरी तरह डर  से कांपने लगा,  शेर कुटिया छोड़ कर भागने लगा, सभी जानवरो से कहने लगा “इससे हमें मिलकर अपने जंगल को बचाना पड़ेगा, रात के अँधेरे में दिख भी नहीं रहा है, अभी इससे लड़ने का सही समय नहीं है, चलो भागो यहाँ से जंगल  में कही छिप जाओ” 

टपके का डर 

बारिश रुक चुकी थी, टपका भी रुक गया  था, पुरे जंगल में टपके का डर फैल गया था जबकि दीनू की कुटिया में शांति थी अब कुटिया में दीनू और उसका परिवार टपके के डर से बेखोफ आराम से सो रहा था| शेर पुरे जंगल में अपना डर छिपा कर घूम रहा था| 🐵🐵🐵

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