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शेर से ज्यादा डर टपके का होता है (भाग -२)

                                       🐯🐯🐯शेर से ज्यादा डर टपके का होता है (भाग -२)🐺🐺🐺🐺

                                                                                   ******

    जंगल में टपके नामक जानवर का डर फ़ैल चुका है. इसी डर की आड़ में धूर्त सियार, उल्लू , मक्कार लोमड़ी एक ही जैसी सोच के जानवर अब हर जगह कानाफूसी करते जा रहे है. अब हमें शेर महाराज का राज नहीं चलने देना चहिये, क्योकि शेर महाराज भी टपके से डरते हैं. जंगल के और भोले जानवर भी उनकी  बातों को न चाहते हुए भी मानने को मजबूर हुए जा रहे थे|  

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 इधर जंगल का राजा शेर अपनी गुफा में आराम कर रहा है. उसे इन धूर्त जानवरो की करतूत का पता नहीं है, बात महाराज के विश्वास पात्र भालू, बंदर, हाथी, गिलहरी, चिड़िया, बया, बटेर इत्यादि तक भी पहुंची, यह सभी  शेर महाराज के पास पहुंचे, उनोहोने जंगल के राजा शेर महाराज को उन धूर्त जानवरो की चाल समझाई ” महाराज धूर्त सियार, लोमड़ी  और उल्लू टपके का डर पुरे जंगल में फैला रहे है. आपके राज को समाप्त कर जंगल  में अनुशाशन समाप्त करना चाहते है. आपको इन धूर्तो की चाल से संभलना  होगा”|  

शेर महाराज भी अच्छी तरह जानते थे की यह धूर्त सोच के जानवर जंगल में हर समय अराजकता फैलाने का मौका ढूढते रहते है. हाँ मुझे मालूम है टपके के डर से यह अपना स्वार्थ सिद्ध कर भोले जानवरो को मुर्ख बनाकर उन्हें अपना शिकार बनाना चाहते है, लेकिन जब तक टपके का डर है तब तक मैं भी कुछ नहीं कर सकता. कोई उपाय समझाओ” शेर ने अपने मातहत जानवरो की और देख कर कहा. 

सभी शेर  के समर्थक जानवर अपना अपना दिमाग खुजलाने लगे. कैसे हम इस टपके के डर को इस जंगल से निकाल सके. भालू बोला, महाराज आपने उस आदमी (दिनू) की कुटिया में टपके को देखा थ., शेर बोला “नहीं मैंने केवल सुना था, कुटिया के सभी लोग बोल रहे थे” क्या तुममे से किसी और ने टपके को देखा था. बाकि जानवरो से भालू ने पूछा सभी ने न में सर हिलाया. इसका मतलब यह है की हममें से किसी ने भी उस टपके को नहीं देखा केवल उस कुटिया के लोगो ने ही देखा है. महाराज उस मोहल्ले के कुत्तो से पूछना चाहिए क्योंकि वह हमेशा उस मोहल्ले में ही रहते है. “ठीक है”, “महाराज ने आदेश दिया, “जाओ मोहल्ले के सभी कुत्तो को मेरे सामने लाया जाये”.

चंपक बन्दर ने महाराज का सन्देश दीनू की कुटिया के आस पास वाले सभी कुत्तो को दे दिया.  सभी कुत्ते डर से कांपते हुए महाराज के पास पहुंचे. “महाराज हमसे क्या गलती हो गई जो आपने हमें याद किया सभी एक कुत्ते एक साथ बोले. तुम सब आदमियों के ज्यादा नज़दीक रहते हो, क्या तुम्हे टपके के बारे में कोई जानकारी है “शेर ने दहाड़ते हुए पूछा. नहीं माई बाप कुत्ते डरते हुए बोले, तो जाओ उस आदमी (दिनू ) की कुटिआ में टपके का पता लगाओ. अगर कुछ पता लगे तो चंपक बन्दर को  बता देना. “चंपक तुम हमेशा इनके ऊपर नजर रखना , “ठीक है महाराज” बन्दर बोला| 

अब सभी कुत्ते दिन रात दिनू की कुटिया के आस पास घूमते रहते बीच बीच में बन्दर भी छत  से उन पर नजर रखता, एक  दिन अचानक जोर की बारिश होने लगी, दिनु के बाबा  बोल पड़े दिनू मोपे टपका गिर रहा है, सोमू दिनु का बेटा भी बोलने लगा बाउजी यहाँ भी टपका गिर रहा है,  “अब इस टपके से उप्पला ही बचाये”, दिनू  छत के बांसो को बांधते हुए बोला, जैसे ही कुत्तो ने टपके का नाम सुना उन्होंने बन्दर को भों  भों करके बता दिया, बन्दर दिनू  के घर के पास के पेड़ पर चढ़ गया और दिनू के घर पर छिपकर नजर रखने लगा, कुत्ते घर के अंदर बहार देख रहे थे, पर उन्हें टपका दिखाई नहीं दिया, कुत्ते और बन्दर बारिश में भीग चुके थे| 

 चंपक बन्दर छलांग मारता हुआ कुत्तो के साथ जंगल में पहुंचा, भालू को पूरा वाकया सुनाया. ” हुज़ूर मैंने और उन कुत्तो ने उस कुटिया पर पूरी सात दिनों तक रखी. सात रातो तक उस घर के किसी आदमी ने टपके का नाम नहीं ले रहे थे पर कल जब जोर की बारिश हो रही थी तब घर के सभी लोग टपका टपका बोल रहे थे और वह आदमी अपनी छत को बांध रहा था| 

वह सभी शेर महाराज के पास पहुंचे, शेर महाराज को भालू ने सब विस्तार से बताया, “महाराज एक बात  तो समझ में आ रही है यह टपका बारिश में ही आता है, और सात दिनों तक बारिश नहीं थी तब इन कुत्तो को उस कुटिया से टपका का नाम सुनाई नहीं दिया, कल जोर की बारिश थी तब इनहोने भी टपके का नाम  सुना है, और वह आदमी अपनी छत को कस रहा था जब हम और आप टपके से लड़ने गए थे उस दिन भी बारिश थी और वह आदमी अपनी छत को कस रहा था| 

इधर धूर्त सियार और लोमड़ी ने टपके का डर दिखाकर कई जानवरो को शेर महाराज के खिलाफ कर दिया था. अब महराज बूढ़ा हो गया है. टपके से लड़ने की उसमे हिम्मत नहीं है तुम को भी उसका आदेश नहीं मानना चाहिए. बहुत से जानवर उनकी बातो में फँस गए थे|  

शेर के पास उसके वफादार बैठे थे. हाथी ने अपना सर खुजलाते हुए कहा महाराज अगर इस बन्दर और भालू  की बातो को सही माना जाए तो टपका जोर की बारिश में ही आता है. और हो न हो कही ऊपर से ही आता है तभी वह आदमी अपनी छत  को कसता है. “हूँ”, शेर ने भी अपना सर खुजलाया. उधर पेड़ पर बैठा उल्लू इन सबकी बातें छिपकर सुन रहा था. उनने शेर और उसके मातहतों की सभी बातें धूर्त सियार, मक्कार लोमड़ी को भी बताई|  

धूर्त सियार और लोमड़ी सभी छोटे बड़े जानवरो को लेकर महाराज के पास पहुंचे. महराज यह जानवर आपके आदेश का पालन नहीं करना चाहते. यह सब भी मानते है की आप भी टपके से डरते हो. भालू बोला  “महाराज डरते नहीं है उस टपके से निपटने की तरकीब सोच रहे है., मक्कार लोमड़ी बोली” जब वह कुटिया का आदमी भी टपके से डरता है. तो महाराज तो  जंगल के ही राजा है, उस आदमी से अधिक समझदार तो नहीं है. आदमी और जानवर में आदमी ही अधिक समझदार होता है, इसलिए अब आपको अपना आदेश इस जंगल पर नहीं थोपना चाहिए. लोमड़ी और सियार के पक्ष के सभी जानवर लोमड़ी की बातो का समर्थन करने लगे| 

    जब जंगल  के अधिकतर जानवर सियार और लोमड़ी की बातों का समर्थन करने लगे , शेर ने अपने मातहतों की तरफ देखा, भोलू हाथी और भालू ने उन सबसे कहा ठीक है ” अभी चाँद छोटा है जब चाँद पूरा हो जाये, (पंद्रह दिन) इतना समय दो महाराज को उसके बाद जिसको  कहोगे उसे ही जंगल का महाराज बना देंगे”.  लोमड़ी और सियार अपने साथ के छोटे बड़े जानवरो को लेकर वहां  से चल दिए , उनके ऊपर उल्लू भी उड़ कर चलने लगा| 

    अब शेर के खेमे में खलबली मच गयी थी, भोलू हाथी और भालू ने चंपक बंदर से कहा, पंद्रह दिनों तक पुरे गांव में जा कर देखना टपका गांव के किस किस घर में आता है, इसके लिए मोहल्ले के सभी कुत्ते, चिड़िया, बया,  तोता और बंदरो को भी अपने साथ ले लेना, महाराज की इज्जत का सवाल है, नहीं तो तुम सबकी खैर नहीं, “जी हुज़ूर”, चंपक बन्दर डरते हुए बोला, और हाँ जब जोर की बारिश हो तब अधिक सतर्क रहना,  हमारी नजर तुम सब पर रहेगी, शेर ने कहा “भालू और हाथी के आदेश का सभी पालन करे” 

    शेर के खेमे के सभी जानवर अब पुरे गांव में फैल चुके थे. चिड़िया तोते बया आदि पक्षिओ ने भी पुरे गांव पर नजर रखनी शुरू कर दी थी. नीले आसमान में आज सुबह से ही काले-२ बादल  छाए हुए थे, चंपक बन्दर ने कहा, आज टपका जरुर आएगा, गांव के प्रत्येक घर में नजर रखें, सभी जानवर अपनी अपनी टोली बनाकर फैल गए. दिनु के घर पर चंपक दो कुत्तो के साथ खुद पेड़ से नजर बनाये हुए था.

कुछ टोलिया जमीदारो, साहूकारों, और रसूखदारों के घर के पास थी कुछ दिनु की कुटिया जैसी कच्ची झोपड़ियों के पास थी, बारिश ने अपना रौद्र रूप अपना लिया था. दिनु के घर से टपके की आवाज आने लगी थी, और वह अपनी छत  को कसने  लगा था, दिनु जैसे गरीब गांववासी भी झोपड़ियों की छतों को कसने  में लगे थे और उप्पले से फरियाद कर रहे थे , जबकि रसूखदारो, जमीदारो और साहूकारों के घर से टपका नहीं आ रहा था, सभी आराम से चैन की नीद ले रहे थे| 

सभी जानवरो की विभिन्न टोलिया इकठी हुई और अपने महाराज के पास पहुँच कर उन्हें पुरे गांव के आदमियों के घरो और टपके का आँखों देखा हाल सुनाया, भालू और हाथी ने एक दूसरे की तरफ देखा और कहा “महाराज हमारी टपके को पकड़ने की खोज सही दिशा में जा रही है” क्या टपका पकड़ में आ गया है, मुझे जल्दी बताओ मैं उसे अभी ठीक करता हूँ”, शेर गुस्से से दहाड़ते हुए बोला, शांत हो जाइये महाराज आज नहीं तो कल पकड़ में आ जायेगा” भालू ने महाराज से बोला, “महाराज हमें पक्का भरोसा करने के लिए बया जैसी चिडियो की जरुरत पड़ेगी,  शेर ने बया चिड़िया से कहा “आदेश का पालन हो”, भालू ने बया के कान में कुछ कहा, गया चिड़िया तुरंत अपनी टोली में पहुँच गई| 

चार दिन बीत गए आज फिर जोर की बारिश होने को है.  सभी जानवर अपनी टोली के साथ पुरे गांव की निगरानी में लगे हैं. चपक बन्दर दीनू की कुटिया के पास के पेड़ से नजर रखे हुए है. दो कुत्ते कुटिआ के पास  कान  लगाए बैठे है. अब टपका आने वाला  होगा. दीनू अपनी छत को बांधेगा, बारिश होकर चली गयी, पर दीनू की कुटिया से टपके की आवाज नहीं आयी. पूरा परिवार आराम से सो रहा था.

 चंपक बन्दर ने दीनू के घर का आँखों देखा हाल जाकर शेर के खेमे में सुनाया, ” महाराज टपका पकड़ में आ चूका है भालू ने जोर से ताली बजाते हुए कहा, हाथी और भालू अपनी तरकीब की कामयाबी पर खुश हो रहे थे, आप जंगल में बिगुल बजवा  दे सभी जानवरो के सामने इस टपके नामक रहस्मय जानवर का रहस्य खोला जायेगा और हाँ उस उल्लू, धूर्त सियार और मक्कार लोमड़ी को जरूर बुलवाया जाये, शेर ने सभी से कहा “जाओ सभी छोटे बड़े जानवरो को उपस्थित होने को कहो”

    उचित तय स्थान पर सभी जंगल के जानवर उपस्थित हो गए. भालू ने भेद खोलना शुरू किया,.उस आदमी की कुटिया में जो टपका था वह कोई और नहीं, बल्कि बारिश का पानी था. जब बारिश का पानी उसके घर में बूँद बूँद कर गिरता था, उसको ही उस घर के लोग टपका कहकर बोलते थे और केवल वही नहीं उसके जैसे गरीब जिनके घर कच्चे बने थे वह भी उस बारिश के पानी से बचने के लिए अपनी छतों को ठीक करते थे. 

लेकिन साथ ही यह भी पता लगा है जिनके घर पक्के बने है उनकी छतो से पानी नहीं गिरता था. इसलिए उनके यहाँ टपका नहीं आता था वह आराम से सोते थे, उनके घर से टपके नामक जानवर की आवाज नहीं सुनी गयी है. मैंने बया चिड़िया से कह कर उस आदमी की छत ऐसे सिलवा दी है की अब पानी की एक बूँद उसके घर में नहीं गिरेगी क्योंकि बया से बड़ा दरजी इस पुरे जंगल  में नहीं है. कल रात को उस आदमी के घर से टपके नामक जानवर की आवाज नहीं सुनी गयी”, चंपक बन्दर और कुत्तो और ने भी सभी को बताया ” हाँ कल पूरी रात हम उसके घर के पास ही थे , उनोहोने टपके का नाम नहीं लिया इससे पहले बारिश में वह टपके का ही नाम लेते थे”| 

सभी छोटे बड़े जानवर भालू की बातो  पर भरोसा दिखा  रहे थे. एक छोटी सी गिलहरी कूदती हुई आयी उसने मासूमियत से पूछा “क्या वह आदमी अपने घर को पक्का नहीं बनवा सकता” जरूर बनवा सकता था लगता है वहां किसी शेर का राज नहीं  है अगर होता तो उसका घर कच्चा नहीं होता औरो की तरह पक्का होता, लेकिन  धूर्तो और मक्कारो की चालो के आगे उस जैसे आदमी के घर कच्चे ही रह जाते है. इसलिए शेर का राज होना बहुत जरुरी है नहीं तो जैसे उस गाँव में कमजोरो के घर कच्चे है. इस जंगल में भी धूर्तो और मक्कार कमजोरो को आज़ादी से जीने नहीं देंगे. इतना कहकर भालू की और हाथी की आँखों में आंसू आ गए. उन्हें देखकर शेर की आँख भी भर आयी.

 धूर्त सियार, मक्कार लोमड़ी और उल्लू  वहां से आँख बचाकर भाग निकले, पूरा जंगल शेर महाराज की जय हो, महाराज की जय हो, करने लगा, शेर ने आगे कहना शुरू किया ताकतवर का काम ताकत की धौस  जमाना ही नहीं होता बल्कि यह भी देखना होता है की कोई धूर्त किसी कमजोर को बेवजह न सताए, पर अफ़सोस जैसे जंगलो से शेरों की संख्या कम हो रही  है वैसे ही आदमियों की दुनिया से भी शेर गिने चुने ही रह गए गए है,  तभी उस आदमी की कुटिआ कच्ची रह गयी| 

 इधर दिनू  के घर में इसी बात की चर्चा थी, रात को सब आराम से सोये थे, बारिश जोर की थी पर छत से कोई टपका नहीं आया था, दिनू ने अपनी छत का मुआयना किया, “अरे बाबा लगता है की किसी पंछी ने हमारी कुटिया बड़े महीन तरीके से सिली है, तभी रात को टपका नहीं आया, इतना महीन तो बया चिड़िया ही सील सकती है”, बेटा मारे भी उपल्ला (ऊपरवाला ईश्वर)  है और बचाये भी उप्पला है, न जाने किस रूप में आ जाये है, चारपाई पर लेटे हुए दिनु के बाबा बोले.

दिनु का बेटा सोमू हाथ में एक पोस्टर  बना  रहा था , सोमू यह क्या बना रहा है क्या लिखा है इस पर”, बाबूजी गुरूजी ने विद्यालय में मंगवाया है, “बाउजी इस पर लिखा है “शेर  बचाओ धरती बचाओ” हाँ बेटा गुरूजी की बात माननी चाहिए, जरूर बनाओ, उसने प्यार से हाथ फेरते हुए अपने बेटे से कहा|🐯🐯🐯🐯🐯🐯

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बया पक्षी ( एक ऐसी चिड़िया जो बड़ी कारीगरी से अपना घोसला बुनती है, अब शहरो में उस चिड़िया का घोसला नजर नहीं आता).

 

This Post Has One Comment

  1. durgesh

    Itni achi kahani an nahi milti keep it up sir

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