वायुदाब और उसकी पेटियां
हम अक्सर हवा से घिरे रहते हैं, महसूस तभी करते हैं जब वह हमसे टकराती है हमें सर्दी या गर्मी का अहसास कराती है, हवा हमारे ऊपर दवाब भी बनाती है, हम इसे महसूस नहीं कर पाते क्योंकि यह दवाब चारो तरफ से लगता है.
प्रेशर कुकर में खाना बनते समय हम गर्म हवा को ऊपर उठते हुए और सिटी बजते हुए देखते ही होंगे। इसमें ताप के कारन हवा एक दवाब बनाती है जिससे कुकर की सिटी बज जाती है.
वायुदाब क्या है इसे कैसे मापा जाता है
पृथ्वी पर वायु द्वारा लगाए गए दवाब को वायु दाब कहते हैं, इसे बैरोमीटर से मापा जाता है.
मिलिबार वायुदाब को मापने की एक इकाई है, इसमें वायुदाब को बैरोमीटर में पारे के चढ़ने और उतरने से मापा जाता है.
औसत वायुदाब बैरोमीटर में ७६ सेंटीमीटर या फिर ७६० मिलीमीटर माना जाता है, जब बैरोमीटर में पारा चढ़ता है तब वायुदाब बढ़ता है, और जब कम होता है तब वायुदाब कम होता है.
बैरोमीटर वायुदाब मापक यंत्र में जब निशान ७६ सेंटीमीटर से ऊपर होता है, (उस क्षेत्र में चलने वाली पवन समाप्त हो जाती है) इसका मतलब मौसम का साफ होना होता है, यदि वह धीरे धीरे नीचे आएगा अर्थार्त वायुदाब कम होगा, वहां पवन बादल लेकर आएगी, वर्षा होगी, और यदि इसमें पारा तेजी से कम होगा, इसका अर्थ है पवन आंधी तूफान के साथ वर्षा करेगी, मौसम वैज्ञानिक इस यन्त्र का इस्तेमाल कर मौसम के बारे में जानकारी देते हैं.
एक शांत हवा, गतिशील पवन कैसे बनती है कैसे अपना दवाब बनाती है.
अगर भूगोल की भाषा में समझे तब एक रुकी हुई हवा, हवा होती है गतिशील हवा को पवन कहते हैं. जब वही गतिशील पवन किसी बिंदु पर कम या अधिक होती है , उस बिंदु पर उसका दवाब भी कम या अधिक होता है,
पवन हमेशा उच्च वायुदाब से निम्न वायुदाब वाले क्षेत्र की ओर बढ़ती है, जहाँ भी कम वायुदाब होगा पवन उसी और बढ़ने लगती है, पवन का बढ़ना वायुदाब को बढ़ता है पवन का घटना वायुदाब को घटाता है.
पवन दो प्रकार से चलती है क्षैतिज (horizontal ) ⇄⇄और उर्ध्वाकार (ऊपर को ओर )↑↑↑. दाब प्रवणता (air gradient) के कारन इसमें गति आती है और कोर्लिअसिस बल (फेरल के नियम) के कारण यह अपनी दिशा पाती है, या मुड़ती है.
फेरल के नियम के अनुसार पवन उत्तरी गोलार्ध में अपने दाये और दक्षिणी गोलार्ध में अपने बाएं मुड़ जाती है, यह पृथ्वी की घूर्णन गति के कारण होता है. कोर्लिअसिस बल का प्रभाव भूमध्य रेखा पर सबसे कम और धुर्वो पर maximum होता है.
क्या पृथ्वी पर वायुदाब एक समान है
बिलकुल नहीं है, पवन की गतिशीलता और उसके द्वारा लगाए गए दवाब की त्रीवता या न्यूनता के अनुसार वैज्ञानिको ने हमारे पुरे गोलार्ध को में कुछ बिंदुओं पर वायु द्वारा लगाए गए दाब के आधार पर विभाजित किया है जिन्हे वायुदाब और उसकी पेटिया के रूप जाना जाता है.
वायुदाब और उसकी पेटिया क्या हैं इसके बारे में कुछ जानने की कोशिश करते हैं।
वायुदाबिय पेटी
पवन के अंदर पाए जाने वाली गति और दवाब के आधार पर वैज्ञानिको ने पुरे गोलार्ध में इन्हे चिन्हित किया है
भूमध्य रेखीय (विषुवतीय) निम्न दाब पेटी (१० डिग्री उत्तरी ध्रुव से १० डिग्री दक्षिणी ध्रुव तक)
अगर कभी लटू चलाया हो तो उसके ऊपर मध्य या नीचे हाथ लगा कर देखना कहाँ आपको अधिक त्रीवता महसूस हो रही है, ठीक इसी प्रकार हमारी धरती भी अपने मध्य में कम घूमती है, धुर्वो पर यह अधिक त्रीव गति से घूमती है, ठीक इसी प्रकार कोर्लिअसिस बल का प्रभाव धुर्वो पर अधिक होता है,
यहाँ पृथ्वी की घूर्णन गति सबसे अधिक त्रीव होती है, इसलिए वायु अपकेंद्रित होकर और तेजी से ऊपर उठती है पुरे वर्ष भर सबसे अधिक सूर्य का प्रकाश इसी जगह पड़ता है इसलिए यहाँ से वायु गर्म होकर ऊपर उठती है, मतलब वायु का दाब साल भर कम रहता है, इसलिए इसे भूमध्य निम्न दाब पेटी कहा जाता है इस वायु में नमी होती है, इसलिए यह क्षेत्र पुरे विश्व में सबसे अधिक वर्षा वाला क्षेत्र है.
उपोष्ण उच्च दाब पेटी (२३ -३५ डिग्री उत्तरी ध्रुव से २३-३५ डिग्री दक्षिणी ध्रुव)
जो हवा भूमध्य रेखीय (विषुवतीय) निम्न दाब पेटी से गर्म होकर ऊपर उठती है वह गोलार्ध के दोनो ओर उपोष्ण उच्च दाबीय क्षेत्र में गिर जाती है, जिससे वहां वायु का दवाब बढ़ जाता है, इसलिए इसे उपोष्ण उच्च वायु दाब क्षेत्र कहा जाता है
अश्व अक्षांश (२३-३५ डिग्री दक्षिणी ध्रुव)
पुराने ज़माने में जब घोड़ो का व्यापार होता था तब उन व्यापारियों के समुद्री बेड़ा (नाव) डूबने लगते थे, वह व्यापारी सोचते थे की घोड़ो के वजन से हमारा बेड़ा डूब रहा है, इस कारन वह नाव में सवार घोड़ों को समुद्र में ही फेक देते थे, ताकि उनकी नाव का वजन कम हो सके. पर उनकी नाव फिर भी डूबने लगती थी, कारन वायु का दवाब उच्च होता था, (तब उन व्यापारियों को पता ही नहीं होता था क्या उच्च दाब है या क्या निंम्न दाब ), तभी से इसका नाम अश्व अक्षांश भी है, चूँकि दक्षिणी ध्रुव में अधिकतर जल क्षेत्र है यहाँ हवा बिना किसी पर्वत पठार से टकराये अधिक दवाब बनाती है दूसरी और उत्तरी ध्रुव में अधिकतर स्थल क्षेत्र है, यहाँ हवा का वेग पर्वतों से टकराकर कम हो जाता है इसलिए इन व्यापारियों को शायद वहां इतनी मुश्किल न होती हो.
उपधुर्वीय निम्न दाब पेटी (४५-६६ डिग्री उत्तरी ध्रुव एवं ४५-६६ डिग्री दक्षिणी ध्रुव )
यह पेटी धरती के दोनों गोलार्धो उत्तरी एवं दक्षिणी ध्रुवो के ठीक नीचे होती है, यहाँ धरातल पर निम्न दाब का निर्माण होता है कारन दोनों गोलार्धो के सिरों पर हमेशा उच्च दाब बना रहता है.
ध्रुवीय पेटी उच्च दाब पेटी (८०-९० डिग्री उत्तरी ध्रुव एवं ८०-९० डिग्री दक्षिणी ध्रुव )
यहाँ सूर्य का ताप न के बराबर होता है, तापमान शून्य डिग्री से नीचे रहता है, ठंडी पवन नीचे बैठती है, इसलिए यहाँ वायु उच्च दवाब बनाती है पुरे वर्ष भर यहाँ उच्च वायुदाब बना रहता है.
तापीय पेटिया
ध्रुवीय पेटी उच्च दाब पेटी जहाँ सूर्य का ताप नहीं होता है और भूमध्य रेखीय (विषुवतीय) निम्न दाब पेटी जहां सूर्य का ताप सबसे अधिक होता है यह दोनों पेटियां सूर्य का ताप के आधार पर बनी हैं इसलिए इन्हे तापीय पेटी भी कहते हैं
गतिक पेटिया
उपोष्ण उच्च दाब पेटी और उपधुर्वीय निम्न दाब पेटी पवनो की गति के कारन बनती है यहाँ पवन अपने बगल वाली पेटी से आकर गिरती हैं या अभिषरण और अपसरण करती हैं. इसलिए इन्हे गतिक पेटिया भी कहते हैं.
सूर्य का ताप और पृथ्वी की घूर्णन गति
ऊपर हमने जानने की कोशिश की हमारे वैज्ञानिको ने सूर्य के ताप और पवनो की गति के आधार पर वायुदाब की पेटियां चिन्हित की है. ठंडी पवन (उच्च वायुदाब ) गर्म पवन (निम्न वायुदाब ) से मिल जाती है और गर्म पवन ऊपर उठकर ठंडी पवन से मिल जाती है और पवनो की गति चलती रहती है, जिसमे सूर्य का ताप और पृथ्वी की घूर्णन गति की मुख्य भूमिका होती है.
संतुलन
प्रकृति कभी भेदभाव नहीं करती वह हमेशा एक संतुलन बनाकर रहती है,पवन और वायुदाब कुछ ऐसा ही कहना चाहते हैं, मानव भी प्रकृति की रचना है क्या वह संतुलन बनाकर चलता है?
वायुमंडल के बारे में जानने के लिए पिछले लेख पर जायें https://padhailelo.com/vayumandal-ka-vibhajan/
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