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Vayumandal

                          वायुमंडल 

    पृथ्वी पर जीवित रहने के लिए सभी जीव वायुमंडल पर निर्भर हैं. यह हमें साँस लेने के लिए वायु प्रदान करता है. यह हमारी सूर्य की हानिकारक किरणों से सुरक्षा भी करता है. यदि वायु की सुरक्षा की यह चादर न हो तो हम दिन के समय सूर्य की गर्मी से तप्त होकर जल सकते हैं एवं रात के समय ठण्ड से जम सकते हैं. अतः यह वह वायुराशि है. जिसने पृथ्वी के तापमान को रहने योग्य बनाया है.

वायुमंडल का संघटन

    जिस वायु को हम साँस  लेने में इस्तेमाल करते हैं वे अनेक गैसों का मिश्रण होती है. नाइट्रोज़न तथा ऑक्सीजन ऐसी दो गैसें हैं जिनसे वायुमंडल का बड़ा भाग बना है. कार्बन डाइऑक्साइड, हीलियम, ओज़ोन, आर्गन एवं हाइड्रोजेन कम मात्रा में पाई जाती है. इनके अलावा धूल के छोटे छोटे कण भी हवा में मौजूद होते हैं.

नाइट्रोज़न
  • नाइट्रोज़न वायु में सर्वाधिक पाई जाने वाली गैस है लगभग ७८ प्रतिशत. साँस के द्वारा हम कुछ नाइट्रोज़न भी ले जाते हैं और फिर उसे बहार निकल देते हैं. पौधों को अपने जीवन के लिए नाइट्रोज़न की आवश्यकता होती है. वह सीधे वायु से नाइट्रोज़न नहीं ले पाते। मृदा तथा कुछ पौधों की जड़ों में रहने वाले जीवाणु वायु से नाइट्रोज़न लेकर इसका स्वरूप बदल देते हैं. 

ऑक्सीजन 

  • ऑक्सीजन वायु में अधिक मात्रा में मिलने वाली दूसरी गैस है लगभग २१ प्रतिशत. मनुष्य तथा पशु साँस लेने में वायु से ऑक्सीजन प्राप्त करते हैं. हरे पौधे, प्रकाश संश्लेषण की किर्या करके ऑक्सीजन पैदा करते हैं. इस प्रकार वायु में ऑक्सीजन की मात्रा सामान बनी रहती है. वृक्ष काटने पर यह संतुलन बिगड़ जाता है.

कार्बन डाइऑक्साइड

  • कार्बन डाइऑक्साइड अन्य महत्वपूर्ण गैस है. हरे पौधे अपने भोजन के रूप में कार्बन डाइऑक्साइड का प्रयोग करते हैं और ऑक्सीजन वापस देते हैं. मनुष्य और पशु द्वारा कार्बन डाइऑक्साइड छोड़े जाने की मात्रा और पौधों द्वारा इसे ग्रहण करने की मात्रा बराबर होती है, जिससे यह संतुलन बना रहता है. 
  • परन्तु यह संतुलन कोयला तथा खनिज तेल आदि इंधनो के जलाने से गड़बड़ा जाता है. यह वायुमंडल में प्रतिवर्ष करोड़ो टन कार्बन डाइऑक्साइड की बढ़ोतरी करते हैं. परिणामस्वरूप कार्बन डाइऑक्साइड का बड़ा हुआ आयतन पृथ्वी तथा जलवायु को प्रभावित करता है. 
  • (उन जिम्मेदार तत्वों को जो पृथ्वी तथा जलवायु  की सेहत को दरकिनार कर केवल मुनाफे के लिए वायुमंडल में प्रतिवर्ष कार्बन डाइऑक्सिड की बढ़ोतरी करते हैं क्या उनसे इसका सवाल नहीं पूछना चाहिए ) 

वायुमंडल की सरंचना 

    वायुमंडल निम्नलिखित पांच परतों में विभाजित है.  

क्षोभमंडल (Troposphere)

  • यह परत वायुमंडल की सबसे महत्वपूर्ण परत है. इसकी औसत ऊंचाई धरातल से १३ किमी तक है. हम इसी मंडल में मौजूद वायु में साँस लेते है. मौसम की लगभग सभी घटनाएं जैसे बारिश, कुहरा एवं ओलावर्षण इसी परत के अंदर होती है.

संतापमंडल (stratosphere) 

  • क्षोभमंडल के ऊपर का भाग संताप मंडल कहलाता है, यह लगभग ५० किमी की ऊंचाई तक फैला है. यह परत बादलों एवं मौसम सम्बन्धी घटनाओं से लगभग मुक्त होती है. इसके फलस्वरूप यहाँ की परिस्थितियां हवाई जहाज उड़ने के लिए आदर्श होती हैं. समतापमंडल की महत्वपूर्ण विशेषता यह है की इसमें ओज़ोन गैस की परत होती है. यह परत सूर्य से आने वाली हानिकारक गैसों से हमारी रक्षा करती है.

मध्यमंडल (Middle circle)

  • यह वायुमंडल की तीसरी परत है. यह समतापमंडल के ठीक ऊपर होती है. यह लगभग ८० किमी की ऊंचाई तक फैली है. अंतरिक्ष में प्रवेश करने वाले उल्का पिंड( Meteorite) इस परत में आने पर जल जाते हैं.

बाह्यवायु मंडल (outer atmosphere)

  • बाह्यवायु मंडल में बढ़ती ऊंचाई के साथ तापमान अत्यधिक त्रीवता से बढ़ता है. आयनमंडल इस परत का एक भाग है. यह ८० से ४०० किमी तक फैला है. रेडियो संचार के लिए इस परत का उपयोग होता है. वास्तव में पृथ्वी से प्रसारित रेडिओ तरंगे इस परत द्वारा पुनः पृथ्वी पर परावर्तित कर दी जाती हैं.

बहिर्मंडल (Exosphere)

  • वायुमंडल की सबसे ऊपरी परत को बहिर्मंडल के नाम से जानते हैं. यह वायु की पतली परत होती है. हलकी गैंसे जैसे हीलियम एवं हाइड्रोजेन यही से अंतरिक्ष में तैरती रहती है.

मौसम एवं जलवायु 

  • मौसम वायुमंडल की प्रत्येक घंटे तथा दिन प्रतिदिन की स्थिति होती है. आद्र एवं गर्म मौसम किसी को भी चिड़चिड़ा बना सकता है. अच्छा हवादार मौसम हमें आनंद देता है और हम घूमने की योजना भी बना सकते हैं. दीर्घकाल में किसी स्थान का औसत मौसम उस स्थान की जलवायु बताता है.

तापमान 

  • वायु में मौजूद ताप एवं शीतलता के परिमाण को तापमान कहते हैं. सर्दी या गर्मी जिसे हम महसूस करते हैं वह वायुमंडल का तापमान होता है. वायुमंडलीय तापमान दिन और रात के अलावा ऋतुओं के अनुसार भी बदलता रहता है.
  • तापमान को मापने की मानक डिग्री सेल्सियस है. इसका अविष्कार एंडर्स  सेल्सियस ने किया था. पैमाने पर जल शून्य डिग्री पर जमता है और १०० डिग्री पर उबलता है.

आतपन (SOLARIZATION)

  • आतपन एक महत्वपूर्ण कारक है जो तापमान के वितरण को प्रभावित करता है. सूर्य से आने वाली वह ऊर्जा जिसे पृथ्वी रोक लेती है, आतपन कहलाती है. आतपन (सूर्यताप) की मात्रा भूमध्य रेखा (विषुवत व्रत) से धुर्वो की ओर घटती है, इसलिए तापमान उसी प्रकार घटता जाता है. इसलिए धुर्व हमेशा बर्फ से ढके रहते हैं. यदि पृथ्वी का तापमान अधिक बढ़ जायेगा तो यहाँ कई फसलें नहीं उग सकेंगी। गावों की अपेक्षा नगरों का तापमान बहुत अधिक होता है क्योंकि वहां बड़ी बड़ी इमारतें, कारखानो और ट्रैफिक से निकलने वाले कार्बन डाइऑक्साइड युक्त प्रदूषण से उत्पन्न गर्म वायु को बहार नहीं निकलने देतीं।  

वायुदाब (Air pressure)

  • वायु हमारे शरीर पर उच्च दाब के साथ बल लगाती है. किन्तु हम इसका अनुभव नहीं करते हैं क्योंकि वायु का दाब हमारे ऊपर सभी दिशाओं से लगता है, और हमारा शरीर विपरीत बल लगाता है. पृथ्वी की सतह पर वायु के भार द्वारा लगाया गया दाब वायु दाब कहलाता है.
  • वायुमंडल में ऊपर की ऒर जाने पर वायुदाब तेजी गिरने लगता है. समुद्र तल पर वायु दाब सर्वाधिक होता है और ऊंचाई पर जाने पर यह घटता जाता है. वायुदाब का क्षैतिज (horizontal) वितरण किसी स्थान पर उपस्थित वायु के ताप द्वारा प्रभावित होता है. अधिक तापमान वाले क्षेत्रों में वायु गर्म होकर ऊपर उठती है. यह निम्न दाब क्षेत्र बनाता है. निम्न दाब बादलयुक्त आकाश एवं नम मौसम के साथ जुड़ा होता है. 
  • कम तापमान वाले क्षेत्रों में वायु ठंडी होती है. भारी वायु निमज्जित (submerged) होकर उच्च दाब क्षेत्र बनाती  है. उच्च दाब के कारण आकाश स्पष्ट एवं स्वच्छ होता है। वायु सदैव उच्च दाब से निम्न दाब  की ओर गमन करती है.

चाँद पर वायु नहीं है इसलिए वहां वायुदाब भी नहीं है. अंतरिक्ष यात्री जब चाँद पर जाते हैं तब एक सुरक्षित हवा से भरी पोषाक पहनते हैं यदि वह इसे न पहनें, तो उन अंतरिक्ष यात्रिओं के शरीर द्वारा विपरीत बल लगने से उनकी रक्त शिराएं फट कर रक्तवत्रवित हो सकती हैं . 

पवन 

  • उच्च दाब क्षेत्र से निम्न दाब  क्षेत्र की ओर वायु की गति को पवन कहते हैं. यह कभी धीमी गति से चलती है कभी तीर्व गति से चलती है, धीरे चलने पर यह धूल तथा पत्तों को उड़ा देती है तथा तेज चलने पर यह पेड़ों को भी उखाड़ देती है उस समय इसकी विपरीत दिशा में चलना भी मुश्किल हो जाता है, जिसे हम तूफान कहते हैं. कभी कभी पवन चक्रवात के रूप में भारी तबाही लेकर आती है. भारत में इसका असर सबसे ज्यादा कहाँ देखने को मिलता है जरा पता लगाइये। 

स्थायी पवने 

  • व्यापारिक पश्चिमी एवं पूर्वी पवने स्थायी पवने हैं. यह पवनें लगातार निश्चित दिशा में चलती हैं. 

मौसमी पवनें 

  • यह पवनें विभिन्न ऋतुओं में अपनी दिशा बदलती रहती हैं. जैसे भारत में मानसूनी पवनें।

स्थानीय पवनें 

  • यह पवनें किसी छोटे क्षेत्र में वर्ष या दिन के किसी विशेष समय में चलती हैं. उदाहरण के लिए स्थल एवं समुद्री पवनें। जैसे भारत की स्थानीय पवन लू, जो गर्मिओं में चलती है.
    वायुमंडल पृथ्वी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसके बिना यहाँ जीवन की कल्पना करना भी असंभव है। हमारा प्रयास होना चाहिए की हम इसे अधिक स्वस्थ बनाने की दिशा में उचित कार्य करे जैसे अधिक मात्रा में पेड़ लगाना, प्रदूषण फैलाने वाले उधोगो और उनसे बने उत्पादों का बहिष्कार करना, जरुरत से अधिक केन्द्रिकरत इमारते न बनाना, इत्यादि ऐसे ही और दूसरे उपायों  के बारे में जागरूकता फैलाना जिससे हमारा वायुमंडल सुरक्षित रह सके। 
 
    यधपि तरक्की (विकास) जरुरी है पर क्या स्वस्थ जीवन (साँस) की कीमत पर हासिल तरक्की को हम या हमारी अगली पीढ़िया उचित मानेंगे।
 
                                                                                        ***** 
 
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